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कर्जा लेना चाहिए या नहीं ?

BALDEV RAJ 30 Mar 2023 आलेख समाजिक कर्जा (Loan ) लेना चाहिए या नहीं ? 12520 0 Hindi :: हिंदी

             कर्जा  (Loan ) लेना  चाहिए या नहीं ?
             क्या कर्जा  लेने से पूर्व उसके लाभ एवं हानि जाने   
             बिना, कर्ज लेना चाहिए ? 
             
              जब तक अति आवश्यक न हो तो किसी भी तरह का कर्ज नहीं  लेना चाहिए ?   लेकिन   ऐसी परिस्थितियां जो आचानक हमारे सामने आ जांए, उदाहरण के लिए अप्रत्याशित बिमारी, प्रकृति आपदा एवं अन्य ऐसी कोई ऐसी आवश्यकता जिसे कल के लिए टाला न जा सके, और उस के लिए बचत अपर्याप्त हो, तो कर्ज लेने के सिवा कोई विकल्प न हो तो अपनी समर्थ अनुसार कर्ज लेना चाहिए | उस समय भी कर्ज की शर्तों को अवश्य देखा जाये, जिन शर्तों पर कर्ज लिया जा रहा वह उचित हैं  या नहीं | 
        यदि सम्भव हो तो कर्ज अपने स्वजनों से विचार- विमर्श करने उपरांत लिया जाये, हो सकता है कि आप की परिस्थितियों के मध्यनज़र आप के स्वजन आप को बिना किसी शर्तों के कर्ज दे दें, अपने स्वजनों से लिए गये कर्ज को यथासम्भव शीघ्र लौटने का प्रयास किया जाये, ताकि  स्वजनों की नज़रों में आप की छवि बनी रहे |
         अब बात करते हैं, कर्ज का विकल्प क्या है  ? 
         कर्ज लेना कितना अनिवार्य है  ? 
        क्या लग्जरी आइटम के लिए कर्ज लेना जरूरी  ? 

        कर्ज का विकल्प क्या है  ?    
          मजदूर,नौकरीपेशा, एवं मध्यम वर्ग के लोगो के आय के साधन सीमित होने के कारण,जरूरत की आवश्यक एंव अनावश्यक वस्तुओं के लिए वे कर्ज का सहारा लेते हैं | यहाँ तक कि एक कर्ज को  चुकाने के लिए दूसरा कर्ज भी लिया जाता जो किसी भी तरह से उचित नहीं है, ये सब इसलिए होता है कि पूर्व में लिए गये कर्ज की शर्तें ऐसी होती हैं कि पूर्व के कर्ज को चुकाना मजबूरी बन जाता है |
           कर्ज का एक मात्र विकल्प है ,  बचत | बचत का अर्थ अनावश्यक खर्चों को रोकना या कम करना , बचत की कोई सीमा नहीं, बचत कभी भी कहीं से भी शुरू की जा सकती है | बचत शुरू करने की कोई आयु नहीं होती |
           बचत की शुरुआत बच्चे के जन्म से पूर्व ही उसकी जरूरतों के लिए शुरू कर की जा  सकती है, क्योंकि बचत   (Saving)  से आगामी भविष्य में आने वाले खर्च का बोझ नहीं रहता | बच्चे के जन्म से ही  उसकी जरूरत शुरू हो जाती है, आय का साधन सीमित होने के कारण कुछ आवश्यक वस्तुओं को हम खरीद नहीं पाते, यदि हमें पता है, छ: महीने, साल, दो साल के बाद बच्चे की आवश्यकता क्या है, उस के लिए हमें अपनी आय का कुछ हिस्सा बचत करनी चाहिए | हमें पता है  कि 3-4 वर्ष की आयु में बच्चा स्कूल जायेगा, उस की स्कूल फीस एंव अन्य खर्च के लिए अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होगी, यदि समय रहते हमने आने वाले खर्च का अनुमान पहले से लगा लिया और बचत कर ली तो, न तो हमें कर्ज की आवश्यकता होगी, न ही दैनिक खर्च में कटौती करनी पडे़गी | आज की बचत ही कल के कर्ज से मुक्ति है | उदाहरण के तौर पर हमें पता है कि दो वर्ष के बाद बच्चे को मौटर साईकल की आवश्यकता होगी , जिस की कीमत 50,000/- रूपये है  उसके लिए लिए यदि 12% वार्षिक दर से दो साल के लिए  कर्ज लेना पड़ा तो हमें लगभग 2360/- की किस्त के हिसाब से 56640/- भरने पड़ेगें, कर्ज के लिए  आवश्यक फीस 1000-1500 आदि अलग से होती है , इस तरह से जबकि दो वर्ष पूर्व आपको खर्च का अनुमान है तो दो वर्ष के लिए 2000-2500  रूपये के हिसाब से किसी बैंक डाकखाने में बच्चे के नाम आर डी खुलवा दे, जिस पर आप को ब्याज भी मिलेगा | बस थोड़ी सी समझदारी से बचत कीजिये और कर्ज से बच्चे रहेगें | कर्ज की किस्त बाद में भरने से अच्छा पहले किस्त जमा कीजिये | पहले किस्त जमा कीजिये बाद में लग्जरी आईटम खरीदे तो अच्छा होगा | इस तरह से आप सदैव ऋण मुक्त रहेंगे | आप को ऋण चुकाने का चिन्ता नहीं होगी | एक बार जीवन में  कर्ज लेकर लग्जरी आईटम खरीदने की आदत हमें जीवन भर कर्ज का गुलाम बना देती है | स्वयं से संकल्प करें कि ऋण मुक्त जीवन यापन करूँगा, जिस वस्तु की तुरंत आवश्यकता नहीं, उसे कल पर टाले, बचत से खरीदें | अपनी मेहनत की कमाई ब्याज में न लुटाये | 
   समय से की गई बचत कल का भविष्य तय करती है, 
   अनावश्यक लग्जरी आईटम के लिए ऋण से बचें |
        
             

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