Chinta netam " mind " 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक समसामयिक 25227 0 Hindi :: हिंदी
छत्तीसगढ़ में तनख्वाह निकालने के एवज में बकरा भात की मांग और अनुकंपा नियुक्ति में रिश्वतखोरी घटना पर मेरी एक छोटी सी सम-सामयिक रचना...... // ...दे लात... // अधिकारियों का संरक्षण , बाबुओं का साथ वाह क्या जलवे हैं , वाह क्या बात....। ऐसा ही रहे तो यूं ही , दिन हो या रात चलता रहे इनका , बकरा और भात....। आखिर कब तक , ऐसे ही चलता रहेगा , पत्रों का दौर तारीख पे तारीख , होती मुलाकात पर , नहीं करते कोई बात....। अब वह वक्त आ गया है साथियों, पहले मुलाकात फिर बात बात ना बने तो किसी नेता ने , कहा है-पकड़ो कॉलर दे लात..... ।। चिन्ता नेताम "मन" डोंगरगांव (छ.ग.)