Ujjwal Kumar 12 Nov 2023 कविताएँ धार्मिक रावण जैसा भक्त ना कोई 16449 0 Hindi :: हिंदी
रावण जैसा भक्त ना कोई महाकाल के गुणगान गाता था धरती भी जिसके डर से कापे वो महाकाल का भक्ति कहलाता था मुट्ठी में नौ ग्रह हो जिसके देवताओं को सेवक बनाता था मौत से भी भयभीत न हो जो नाम का पंडित राक्षसों का राजा कहलाता था मृत्यु देख खुश हुआ जो मौत को खुद ही ललकारा था मैं अकेला ही क्यों मारूं भगवान के हाथों सभी राक्षसों को तारा था काल भी उसका क्या बिगड़े लंका का वह राजा था। रचनाकर-उज्ज्वल कुमार