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जिगरा

Samar Singh 16 Apr 2024 गीत देश-प्रेम सत्य पर चलना बड़ा कठिन होता है, कोई विरला ही इस पर चलता है। 29 0 Hindi :: हिंदी

हैवानियत जो घूम रही है खुलेआम, 
इसे कब्जे में लेने के लिए वज्र सा पिंजरा चाहिए। 
रगों में लहू इंकलाब करने को बहे, 
सही को सही और गलत को गलत कहने  का जिगरा चाहिए। 

तुम अपने को जिंदा कहते हो, 
तुम तो बस रम निंदा में रहते हो। 
कुछ करने को बस हांक लगाते हो, 
मौका मिला तो पीछे बस पांव भगाते हो। 
आग लगी हो पूरी धरती पे, 
भागो यहाँ से तुमको तो बस किनारा चाहिए। 
सही को सही और गलत को गलत कहने का जिगरा चाहिए। 

वैसे तो देशभक्त बने फिरते हो, 
चंद पैसे के लिए हर जगह गिरते हो,। 
जान देने की बारी आने पर, 
बोल लबों के कैसे फूटते है,। 
हमारे ही जिम्मे है देश सारा, 
तुम बलि चढ़ो है देश तुम्हारा। 
मुर्दे है सब , बस जिंदा लाशें ढो रहे हैं, 
धरती का बोझ बढ़ाने को इनको सहारा चाहिए। 
सही को सही और गलत को गलत कहने को जिगरा चाहिए। 

रचनाकार - समर सिंह " समीर G"

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