Sudha Chaudhary 20 May 2023 कविताएँ दुःखद 8218 0 Hindi :: हिंदी
क्यों तुम्हारी नीर से आंख का काजल सजाऊं? क्यों तुम्हारी पीर से मैं कोई बादल बनाऊं? तुम विदा हो इसलिए हूं खड़ी इस भीड़ में, स्वप्न सुन्दर बन न जाते क्यों तुम्हारे जाऊं? स्वीकृति देकर चुपचाप, समेटना चाहा था, वही तन्मय बेला थी, जिससे जीवन चाहा था। हर्ष भरा उल्लास रहा न मेरा तो, क्यों तुम्हारी शीत से सिकुड़ी जाऊं? सुधा चौधरी बस्ती