Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

कुकुरमुत्ता (मशरूम) एकः फायदे अनेक

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख अन्य veg 86103 0 Hindi :: हिंदी

मशरूम फफूंद का फलनकाय कवक है, जो कहीं छाती, कहीं छतरी, कहीं भिभौरा, कहीं पिहरी, कहीं भमोड़ी कहीं फुटु, तो कहीं टिंगरी के नाम से जाना जाता है। इसे हिंदी भाषा में कुकुरमुत्ता कहते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग में इसे छाती के नाम से जाना जाता हैं, तो मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में इसे पिहरी व भमोड़ी के नाम से।
बरसात में देशी मशरूम खेत के मेढ़ों, मिट्टी के ढेरों, बांस के झुरमुटों, घान के पैरों, दीमक के टीलों व वनों में बहुतायत में पाया जाता हैं। बस्तर में इन्हें बांस छाती, जाम छाती, खड़ छाती, बेड़ा या पानी छाती, डेंगुर छाती कहते हैं। 
बरसाती देशी मशरूम के क्या कहने! यह स्वाद में बेजोड़ समेत स्वास्थ्यवर्धक होता है, इसलिए देशी फुटु को खरीदने की होड़ मची रहती है। यह बरसात में 500-600 रुपए किलो बिकता है। 
इसके बावजूद, इसके शौकीन इसे खरीदते हैं और चाव से खाते हैं। छग के ज्यादातर शहरों में इसकी आवक आसपास के जंगलों से होती है। जिसे स्थानीय निवासी और वनवासी निकालते हैं और शहरों व निकटस्थ हाट-बाजारों में बेचते हैं। 
इससे जहां स्थानीय निवासियों को बिन पूंजी और मेहनत की आय होती है, वहंीं रहवासी को नई और देशी सब्जी का स्वाद मिला करता है। 
	विशेषतौर पर बांस के पौधों के इर्द-गिर्द पाये जानेवाले मशरूम का कोई सानी नहीं? यह स्वादिष्ट, रोगप्रतिरोधक, पौष्टिक तथा औषधीय गुणों से युक्त होता है। इसमें बिन पत्ती, बिन कली व बिन फूल के फल बनने की अद्भुत क्षमता होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल सब्जी, टाॅनिक व औषध के रूप में किया जाता है। 
इसकी इसी विशेषता के चलते, इसके सेवन करनेवालों की तादाद साल-दर-साल बढ़ती चली जा रही है। मशरूमप्रेमी ताजे मशरूम का सेवन तो करते ही हैं, अपितु ठंड व गरमी के लिए सूखाकर भी रख लेते हैं और मौके-बेमौके इसके जायके का आनंद लेते हैं।
तभी तो बाजार में पीसे हुए मशरूम की कीमत 1000/-रुपया डिब्बा है, तो फाइव स्टार होटलों में यह 200-300/-रु प्लेट में बिकता है। मशरूम आमतौर पर बारहों महीना उपलब्ध रहता है, लेकिन हाईब्रिड मशरूम की तुलना में जंगली मशरूम को लोग ज्यादा तवज्जो देते हैं।
	डाॅ. बीएम शरणागत, एमडी, आयुष्मान हास्पिटल का कहना है कि देशी मशरूम में रोगप्रतिरोधक क्षमता प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह पौष्टिक व औषधीय गुणों से भरपूर होता है। 
इसमें खासतौर पर एचडीएल-अच्छा कोलेस्टेराॅल अधिक मात्रा में और बुरा कोलेस्टेराॅल-एलडीएल कम मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर शक्तिशाली बनता है। साथ ही हाजमा और दिल के रोगियों के लिए यह फायदेमंद होता है; किंतु शुगर और अल्सर के मरीज इसका सीमित मात्रा में सेवन कर सकते हैं।
	चिकित्सकों के मुताबिक मशरूम प्रोटीन का सबसे बेहतर स्त्रोत है, जिसमें प्रचुर मात्रा में कैलोरी, वसा, सोडियम, अच्छा कोलेस्टराॅल, पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट, शर्करा, विटामिन-एबीसीडी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नेशियम पाए जाते हैं। ये तत्व मानव शरीर के लिए गुणकारी होते हैं। इसके सेवन से शरीर मजबूत बनता है, यह शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देता है।
	इंदिरा गांधी कृषि विवि में शैक्षणिक निदेशक व मशरूम एक्सपर्ट डाॅ. एमपी ठाकुर का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों की मशरूम में 9 एमीनो एसिड के अलावा प्रोटीन 26.6 फीसद, कार्बोहाइड्रेट 50.7 फीसद, रेशेदार तत्व 13.3 फीसद, वसा 2 फीसद, खनिज लवण, कैल्शियम, फाॅस्फोरस, लौह तत्व, सोडियम व पोटेशियम की प्रचुरता रहती है। 
डाॅ. ठाकुर के अनुसार मशरूम डायबिटिक के लिए भी फायदेमंद है। यह बच्चों, गर्भवती माताओं व बुर्जुर्गों के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। इससे अचार, बिस्किट, पकौड़े, खीर, पुलाव, सूप, चटनी, सब्जी व बड़ी आदि बनता है। मशरूम की कई प्रजातियाॅं हैं-जैसे बटन, आॅयस्टर, पैडी स्ट्राॅ, मिल्की मशरूम आदि।
	इंदिरा गांधी कृषि विवि के अंतर्गत कुम्हरावंड अनुसंधान केंद्र-शहीद गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय की कोशिश से बस्तर जिला के जगदलपुर, बस्तर, तोकापाल व लोहंडीगुड़ा ब्लाॅक के 25 से अधिक गांवों में 150 से ज्यादा महिला स्व-सहायता समूह मशरूम का उत्पादन कर अतिरिक्त आय सृजित कर रही हैं। प्रत्येक समूह मात्र छह महीने में औसतन 50 हजार रुपये का मशरूम बेच लेती हैं। बस्तर के इन चार ब्लाॅकों में करीब 540 क्विंटल मशरूम का उत्पादन होता है।
	वरिष्ठ वनस्पतिशास्त्री डाॅ. एमएल नायक का कहना है कि कुकुरमुत्ता एक मृतोपजीवी है, जो हरित लवक के अभाव में अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं करता। इसका शरीर थैलसनुमा होता है, जिसके चलते इसे जड़, तना और पत्ती में नहीं बांटा जा सकता। खाने योग्य कुकुरमुत्ता को आमतौर पर खुंबी कहा जाता है। लेकिन कई कुकुरमुत्ते एक जैसे दिखते हैं, इसलिए गुण-दोष के अनुसार उनकी पहचान कर उपयोग करना चाहिए। दुनिया में सफेद बटन मशरूम, डिंगरी मशरूम, दुधिया मशरूम, शिटाके मशरूम और पराली मशरूम ही खाने लायक होता है।
	वन विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि मशरूम तोड़ने के बाद 10-12 धंटा ही खाने लायक रहता है, इसलिए इसको सूखाकर सुरक्षित रखना चाहिए। इसके लिए पीसने, पीसकर बारीक चूर्ण को सुरक्षित रखने, डिब्बाबंद करने तथा विपणन का प्रशिक्षण होना चाहिए। इसकी मशीनें और प्रस्संकरण इकाई लगनी चाहिए। इससे बेरोजगारों को जहां रोजगार मिलेगा, वहीं शौकीनों को कम कीमत में उच्च गुणवत्ता का मशरूम मिलेगा। 
है न एक तीर से कई निशानवाली युक्ति! चूंकि मशरूम का उत्पादन छग के हर जिले में देशी या हाईब्रिड के रूप में होता है, इसलिए सरकार को इस ओर ध्यान देकर इसके उत्पादन, प्रस्संकरण और विपणन के अवसर पैदा करने चाहिए।
	मशरूम को जंगल से तोड़कर लाना खतरे से खाली नहीं होता। जंगली मच्छर, भालू, जहरीले सांप, बिच्छू सहित अन्य जंगली जानवरों का खतरा मुंॅंह बायें खड़ा रहता है। किंतु दानापानी व आजीविका के लालच में लोग मुसीबतों का सामना करते हुए इसको निकालते/उखाड़ते हैं। शहरों में पसरा लगाकर बेचते हैं और पैसा बनाते हैं। 
इसके सेवनकर्ता को चाहिए कि इसके सेवन के पूर्व इसेे भली-भांति जांच-परख ले कि संबंधित मशरूम खाने लायक है या नहीं। यह बड़े बुजुर्ग आसानी से बताते हैं। इसी तरह इसको सब्जी बनाने के पूर्व अच्छी तरह गर्म पानी में कई बार धो लेना चाहिए। इस संबंध में महारानी अस्पताल के जानेमाने डाॅक्टरों की राय है कि मशरूम या बोड़ा विशेष प्रकार के कुकुरमुत्ते हैं। इनमें रंगबिरंगे मशरूम विषाक्त होते हैं, जिसे बगैर जाने-सुने खरीदकर खाना महंगा पड़ सकता है।
---000---
अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपके प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

किसी भी व्यक्ति को जिंदगी में खुशहाल रहना है तो अपनी नजरिया , विचार व्यव्हार को बदलना जरुरी है ! जैसे -धर्य , नजरिया ,सहनशीलता ,ईमानदारी read more >>
Join Us: