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मैं जो हूं-मैं जो हूं एक तम

Sudha Chaudhary 23 May 2023 कविताएँ दुःखद 6312 0 Hindi :: हिंदी

मैं जो हूं
एक तम,
एक संशयात्मा,
एक कठिन
परिस्थिति,
जिस पर रोज
रहता है 
भर का डेरा,
एक विराम
जो रुक गया है।
बरसों से 
एक
उलझन
जिस पर
नहीं बस किसी का।
एक फूटा
भाग्य
टूटता है बार बार
एक चंचल मन
जिसमें चल रहा है द्वंद
एक प्यारा घर
जिसमें हो रहा प्रपंच
नहीं उसका
कोई अन्त।
एक मेरी चाहतें
नहीं उसमें आहटे
हां वही हूं रंग
जिसमें है नहीं कोई तरंग।


सुधा चौधरी
बस्ती

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