DINESH KUMAR KEER 09 Jan 2024 कहानियाँ अन्य 12889 0 Hindi :: हिंदी
चाहत किस-की...? एक समय की बात है, एक व्यक्ति अपनी हाल ही में एक कार खरीदी वो उस को बड़ी चाहत से धुलाई करके चमका रहा था। उसी समय उसका पांच वर्षीय लाडला बेटा, किसी नुकीली चीज से कार पर कुछ लिखने लगा। कार पर खरोंच लगती देखकर पिता को इतना गुस्सा आया कि वह बेटे का हाथ जोर से मरोड़ देता है। इतना जोर से कि बेटे की उंगलियां मुड़ सी जाती हैं। बाद में चिकित्सालय में पीड़ा से कराह रहा बेटा पूछता है- पापाजी, मेरी उंगलियां कब तक अच्छी हो जायेगी ? शर्मीन्दगी पर पछतावा कर रहा पिता कोई उत्तर नहीं दे पाता। वह वापस जाता है और कार पर लातें मार कर अपना गुस्सा निकालता है। कुछ समय के बाद उसकी नजर उसी खरोंच पर पड़ती है, जिसके कारण से उसने, अपने बेटे का हाथ मरोड़ा था। बेटे ने नुकीली वस्तु से लिखा था- मेरे प्यारे पापाजी। सीख : गुस्सा और चाहत की कोई सीमा नहीं होती। याद रखें कि वस्तुऐं, उपयोग के लिए होती हैं और इंसान चाहत के लिए। परन्तु होता इससे विपरीत है। लोग वस्तुओं को चाहते है और लोगों का उपयोग करते हैं। -दिनेश कुमार कीर