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राजनीति में धर्म का-भारत में है झूठ

संदीप कुमार सिंह 29 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 8286 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
राजनीति में धर्म का,भारी अभी अभाव।
लाठी के बल भैंस है,फैली अजब दुराव।।

राजनीति में धर्म अब,भारत में है झूठ।
कथनी करनी सम नहीं,कस के पकड़े मूठ।।

राजनीति में धर्म था,पहले नर में  खूब।
मिली पहचान देश को,विश्व कहे महबूब।।

राजनीति में धर्म हो,होगा तभी कमाल।
भारत का परचम तभी,सजकर करे धमाल।।

राजनीति में धर्म हो,नेता में हो ज्ञान।
मन में रखे विकास का,खुशबू भरकर ध्यान।।

राजनीति में धर्म से,रखिए जरा लगाव।
तभी हालात हो सही,होगा दूर दुराव।।

राजनीति में धर्म जब,नेता के हो साथ।
तब चमके अरु देश यह,खुशियाँ होगी हाथ।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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