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देश की सबसे बड़ी विडम्बना

Archana Singh 12 May 2023 आलेख समाजिक 5944 0 Hindi :: हिंदी

नमस्ते दोस्तों 🙏🙏

दोस्तों ! देश की सबसे बड़ी विडम्बना तो ये है कि यहां आम आदमी का कोई महत्व ( वैल्यू ) नहीं है  ।
 लोग उनकी कदर नहीं करते हैं जिनके पास पैसा नहीं है ,  जिनका कोई स्टेटस नहीं है ।

 सच पूछिए तो खुद उनके घर वाले ही उनकी कदर नहीं करते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी है ।

 आज कितने नौजवान भाई-बहन नौकरी के चक्कर में धक्का खा रहे हैं  । भले ही उनमें काबिलियत औरों से ज्यादा हो पर टेबल के नीचे देने के लिए रिश्वत  नहीं है ।
सरकार तो दिखाने के लिए तो रोज  नए-नए वैकेंसी निकालती है  ,,,, रोज नए-नए  जॉब ऑफर आते हैं ,,,,  हजारों नौजवान इधर-उधर उधार लेकर भी उस फॉर्म को भरते हैं ....

और अगर बाई चांस फॉर्म भरने के बाद एग्जाम में सिलेक्शन भी हो गया  , तो इंटरव्यू के समय उन्हें निराश होना ही पड़ता है .... 
.... क्योंकि डिग्रीयां तो एक तरफ दिखावे मात्र के लिए रख दी जाती है  , उनकी जगह  हरी पत्तियों का वजन ज्यादा हो जाता है ।

 दोस्तों ! ये बात मेरी सिर्फ लिखने के लिए या बनावटी नहीं है .... सच तो ये है कि मैंने इस चीज को महसूस किया है  ।

चलिए !  मैं आपको और अच्छे से समझाती
 हूं .....
मैं अपनी ही किसी जान पहचान की बात आपको बता रही हूं ।
किसी एक भाई ने b.ed में अव्वल नंबर से पास किया ,  फिर उन्होंने सीटेट ( CTET ) भी क्वालीफाई कर लिया  , ,,,,,
पर पिछले 6 साल से नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं  ।  फिर उन्होंने निराश होकर घर में ही कुछ बच्चों को पढ़ाना - लिखाना शुरू कर दिया .... ।
इसी बीच उनकी शादी हो गई ,,,,,और कुछ दिनों में एक  बेटा भी हो गया ।
 पर सबसे दिल दहलाने वाली बात तो ये है कि कोरोना काल में उनकी ऐसी दयनीय स्थिति हो गई कि इस साल जनवरी में ही उन्होंने खुद को सारी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए , अपनी जिम्मेवारियों को नहीं निभा पाने के गिल्ट से खुदकुशी कर ली  ।
लोग उन्हें कायर बुला रहे हैं । मरने के बाद भी लोग उनकी निंदा कर रहे हैं ।
 यहां तक कि ये भी कह रहे हैं कि सारी गलतियां मां - बाप की है ।
 जब बेटा इस लायक ही नहीं था कि अपने परिवार का भरण - पोषण कर सके तो , शादी विवाह क्यों करवाई .....?
 दूसरे की बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी....!

 पर सच पूछिए तो क्या वो कायर थे  ....?

मेरी नजर में तो नहीं थे ..... क्योंकि देश में 10 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हैं ।
 यहां योग्यता तो बहुत है पर सुविधा और अधिकार उसी के पास है जो सब तरफ से सारी सुविधाओं से संपन्न है .... क्योंकि जिसके पास पैसा और पावर है वो जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकते हैं  । बेरोजगारी ने ही उनकी जान ली है ।
दूसरी , आज हर जगह आरक्षण का ही बोलबाला जोरों पर है , तो थोड़ा सा नौजवान भाई - बहन का मन यहां भी खट्टा हो जाता है ..... क्योंकि हम चाहे कितना भी मेहनत करें आरक्षण वाले हमसे आगे निकल ही जाते हैं ।

" ये कैसी विडंबना है "....?

एक तरफ तो हम कहते हैं :  जात - पात ,
अमीरी - गरीबी का कोई भेदभाव नहीं है ।
 हम सभी भाई - भाई हैं ,,, सभी एक समान हैं ...
और दूसरी तरफ हर जगह भेदभाव ....?
पैसे वालों का बोलबाला ,,,,
गरीबों को ना कोई पूछने वाला ,,,,!

 क्योंकि आज की सबसे बड़ी विडम्बना है कि पैसा बोलता है ,  आवर बोलता है ।
यहां जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत लागू होती है ।
जिसके पास पैसा है , दुनिया में उसका ही बोलबाला है ।
 मैंने कई लोगों को देखा है जिनके बच्चे
 पढ़ने - लिखने में बहुत कमजोर है , वो भी आज हाई-फाई स्कूल और कॉलेज में पढ़ रहे 
हैं ।
कारण :..... क्योंकि उनके मां-बाप ट्रस्टी बनकर  उस कॉलेज को ही खरीद लेते हैं ।
उन्हें इतना डोनेशन दे देते हैं की डोनेशन देने वाले के बच्चों को बिना मेहनत के ही प्रमोट कर दिया जाता है ।

दोस्तों !  अगर मेरी इस लेख से किसी को तकलीफ पहुंची है , तो क्षमा प्रार्थी हूं 🙏🙏
पर सत्यता तो यही है जिसे  आप भी नहीं झुठला सकते हैं  । ✍️
धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐

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