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आ तुझको तोहफ़ा दूं प्यार भरे गीतों का-मस्ती भरी मितों का

संदीप कुमार सिंह 07 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 7771 1 5 Hindi :: हिंदी

(छंद मुक्त कविता) 
आ तुझको तोहफ़ा दूं प्यार भरे गीतों का,
आ तुझको तोहफ़ा दूं मस्ती भरी मितों का।
आ तो सही एक बार आ तो जरा,
फिर फ़ैसला करना कैसा हूं मैं।

उलझे हुए तुम लोग मन्दिर_मस्जिद में,
चालबाजों के चाल में फंस जाते हो।
व्यर्थ में एक_दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हो,
बेगुनाहों क्या कभी तुम सही नहीं सोचते।

दुनियां बनानेवाले ने तो सबको सम अधिकार दिया,
तुमलोग धर्म_संप्रदाय के नाम पर लड़ते हो।
बदले में पाते कुछ नहीं हो,
और यहां से रुख़सत कर जाते हो।

इन मुद्दों पर जरा प्यार से कभी विचार करना,
फिर उस विचार से निकले परिणाम को बांटना।
न बहुत सही मगर अल्पांश में ही मानवता महकेगी,
और ये दुनियां सभ्य बंधन में बंध जायेगी।

कहीं ज्ञान के नाम पर लड़ रहें हैं लोग,
कहीं नीति के नाम पर लड़ रहें लोग।
ज्ञान कभी भी व्यर्थ की लड़ाई नहीं सिखाता,
ज्ञान तो मानवता की ज्योति जलाता है।

और इसी ज्योति के सहारे संपूर्ण विश्व चल भी रहा है,
बड़ी ही क़ाबिल-ए-तारीफ़  है आज की ये दुनिया।
बस कुछ ऐसे संकीर्ण मानसिकता वाले अभी भी है,
तो अब ऐसों की मानसिकता को बदली जाए।

सागर में उठती उन लहरों को कभी ध्यान से देखना,
एक के बाद एक लहर मस्ती से इठलाती है।
तो अपने अंदर भी विचारों की लहर होती है,
हमें सिर्फ़ इन लहरों को सही दिशा देना होगा।

चलो ठीक है आपस में विचार नहीं मिल रहा है,
लेकिन अपने_अपने तरीके से ही जीवन को हसीन करें।
उलझन में रहना और उलझन देना छोड़ दें,
एक सूझबूझ से जिएं और लोगों में भी बांटें।

अम्बर में देखो अनंत तारे टिमटिमाते हैं,
सब में यह होड़ है की मेरी टिमटिमाहट अच्छी हो।
तो हमें लड़ने की बजाय अपनी चमक बढ़ानी चाहिए,
सब कुछ बनानेवाले से और चाहिए का फरियाद करना चाहिए।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

Comments & Reviews

Addy Rathore
Addy Rathore अ्दूति्य ् रचना 👍💫

8 months ago

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