Pradeep singh " gwalya " 05 Sep 2023 कविताएँ समाजिक Pradeep singh ‘gwalya’ 7520 0 Hindi :: हिंदी
बचपन में हम क्या थे,कोन थे हम पूर्ण रूप से अनजान होते हैं फिर जो हमसे हमारा परिचय कराते हैं वो होते हैं गुरु। कहां जाना जीवन में,लक्ष्य क्या है जीवन का जब कुछ पता नहीं होता तब जो हमारे लक्ष्य की हमारी मंजिल की सही राह दिखाते हैं वो होते हैं गुरु। क्या होता है देश,क्या देश प्रेम और क्या उसकी भावनाएं फिर जो हमें देश प्रेम की प्रथम कड़ी से जोड़ते हैं वो होते हैं गुरु। जब हम गलत संगति में पड़ते, या कुछ गलत करते फिर जो हमें साफ चरित्र का शीशा दिखाते हैं वो होते हैं गुरु। क्या पड़ोस,क्या समुदाय और क्या समाज नहीं पता तब जो सामाजिक कर्तव्यों को भी सीखा जाते हैं वो होते हैं गुरु। जब हम मां बाप की आज्ञा न माने या उन्हें दुत्कारें फिर जो माता पिता की सेवा और बड़ों का आदर सिखाते हैं वो होते हैं गुरु। हमेशा सहायक मित्र की भांति, अच्छे समाज के निर्माता अनुकरणीय प्रेरणा के स्रोत होते हैं सच कहूं तो ये पंक्तियां सिर्फ चंद पंक्तियां हैं असल में इससे कई गुना बढ़कर होते हैं गुरु।। Pradeep singh ‘gwalya’
pradeep singh "ग्वल्या" from sural gaon pauri garhwal uttarakhand . education:- doub...