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ये रचयिता की है रचना....

मोती लाल साहु 28 Apr 2023 शायरी समाजिक ये रचयिता की है रचना, ये मौसम - ये बहारें - ये जिंदगी सदियों से गुजर रहीं हैं। दया की लहरें गुजर रहीं हैं। 6919 0 Hindi :: हिंदी

ये मौसम खिलते बहारें यहां-
सदियों से ये जिंदगी गुजर रहीं हैं

ये रचयिता की है रचना-
दया की ये देखो लहरें गुजर रहीं हैं
-मोती

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