Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

सिलसिले-कितने बिखर गए युहीं चलते रहे सिलसिले

Raj Ashok 03 Jan 2024 शायरी हास्य-व्यंग सिलसिले 7879 0 Hindi :: हिंदी

एक नज्ब एक सवाल पर  
कितने बिखर गए 
यहाँ, युहीं चलते रहे सिलसिले
और लाखों मर गए ,
उलझने कम कहाँ हुई । जिन्दगी मे
लौग इघर के ऊघर गए ।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

मेरे नजर के सामने तुम्हारे जैसे बहुत है यहीं एक तू ही हो , मोहब्बत करने के लिए यह जरूरी तो नहीं read more >>
मीठी-मीठी यादों को दिल मैं बसा लेना जब आऐ हमारी याद रोना मत हँस कर हमें अपने सपनों मैं बुला लेना read more >>
Join Us: