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बुजुर्ग

Manasvi sadarangani 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक घर के बुजुर्ग 10174 0 Hindi :: हिंदी

हर घर की शान है 
बुजुर्गो से ही हम बच्चो की पहचान है।
इनकी छवि जैसी होती है, 
वैसे ही हमारा स्वरूप भी बनता है,
तभी तो लोग कहते है कि तू अपने मां बाप sa दिखता है।
इनके सफेद बाल उम्र की नहीं परछाई है,
हम पर इन्होंने कितनी मेहनत की है यही ये सफेद बाल इनकी कमाई है।
बचपन से ही हमने जाने अंजाने कितनी ही चीज़े इनसे मांगी है,अपनी हिम्मत से बढ़कर हमारी हर खवाइश पूरी कर डाली है।
आज ये सिर्फ एक चीज ही हमसे चाहते है, 
नही चाहिए हमारी दौलत, 
ये तो बस हमारे साथ वक्त बिताना चाहते हैं।
                                  मनस्वी सदारंगानी

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