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क्यों भूल गए

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक क्यों भूल गए 6624 0 Hindi :: हिंदी

क्यों भूल गए 
ढिबरी लालटेन जला के पढ़ना 
गांव चौपाल बो दरवाजे के चौखट 
बो बरगद के पेड़ उसका आश्मान से 
जमीन तक लटकता सोर 
उसके छाव के निचे बैठक लगाना 
दोस्तों संग महफ़िल सजाना 
क्यों भूल गए 
गांव के किसी एक घर में अतिथि का आना 
सारा गांव का एक जगह इकठा हो जाना 
रिस्ता एक से रिस्तेदार पुरे गांव का 
क्यों भूल गए 
चिकनियाँ कबडी छुपन छुपाई फुटबॉल
गीली डंडा आम के डाल पे झूला झूलना
खेलते खेलते लड़ पड़ना गाली बकना 
क्यों भूल गए 
तीज त्योहार होली दिवाली चाहे हो जेठान 
सब के सब गांव आते थे 
मिल के सब धूम मचाते थे 
हम सब एक थे भाई भाई चाचा भतीजा 
चाची भाभी बुआ काकी कोई जाती न पात
क्यों भूल गए 
एक गांव से दूसरे गांव तक 
सभा मिलन को जाते थे 
कितना अच्छा बिलकुल फिर से 
पहले जैसे हो पता 
सब साथ मिल खुशियां मानते
तलाब में एक साथ छलांग लगते 
क्यों भूल गए 
लाठा कुड्डी खंभा रेहट कल्ल खेत खलिहान 
पडोशी के पेड़ से आम चुराना 
पकडे जाने पे मार खाने से पहले ही रोना 
क्यों भूल गए 
कास कुछ यैसा हो जाता 
सब पहले जैसा हो जाता
न बैर न बैमनस्य होता 
बस गांव सिर्फ गांव होता   
 

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