Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

इस उम्र का मंजर

Sameer abbasi 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #newquotes #bachpan #viral #life #youngwriter #google #sahitya #studentlife 78034 0 Hindi :: हिंदी

इस उम्र का मंजर कुछ ऐसा है,
कि सब कुछ याद रखने वाला मैं अब बहुत कुछ भूलने लगा हूं, छोटी-मोटी परेशानियों से कई दफा झूझने लगा हूं।
शांत रहने लगा हूं, पर बिना बोले बहुत कुछ कहने लगा हूं।
अकेले में रहकर खुद से मिलने लगा हूं,
हारने से भी बेहद डरने लगा हूं, लेकिन बिना तरस खाए खुद से दोबारा लड़ने लगा हूं।
हारने के इसी सिलसिले को जीतने का कारण बनाने की चाह भी बेहिसाब रखने लगा हूं।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: