संदीप कुमार सिंह 21 Jun 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6910 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) मिली अहं को मात जब, दानव बने विनीत। पछताए मन में बड़ा, बनना चाहा मीत।। मिली अहं को मात जब, हुआ मजबूत धर्म। भक्ति भाव सबमें बढ़ा, करते पावन कर्म।। मिली अहं को मात जब,सुधर गया वह जीव। ज्ञान बुद्धि उसका बढ़ा,अनुपम हुआ अतीव।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....