Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

परिवार-परिवार में रहना ही सबसे अच्छी बात है

Poonam Mishra 08 Nov 2023 कहानियाँ समाजिक मैं तुम्हारे निर्णय में तुम्हारे साथ हूं 9238 0 Hindi :: हिंदी

बात उन दिनों की है जब हमारी शादी एक संयुक्त परिवार में तय हुई। मुझे पहले से ही पता था कि मेरे पति अपने माता-पिता अपनी दो बहन दो भाइयों के साथ रहते हैं ।हम परिवार की सबसे बड़ी बहू हूं क्योंकि यह इंजीनियर थे अच्छा पैसा कमाते थे तो परिवार के लोगों ने मेरी शादी खुशी-खुशी कर दी मुझे भी इससे कोई एतराज नहीं था परंतु जब मैं ससुराल में आई कुछ दिनों तक तो मुझे ठीक लगा परंतु न जाने क्यों ?समय बीतने के साथ ही साथ मेरा मन परिवार के लोगों से उचटने लगा मुझे हमेशा यह महसूस होता कि मेरे पति मुझसे ज्यादा अपने माता-पिता भाई बहन को प्यार करते हैं. और वह ऑफिस से आते ही उन लोगों के साथ बैठ जाते चाय नाश्ता करते मुझे भी बुलाते परंतु न जाने क्यों ?
मुझे उन लोगों के बीच में असहज महसूस करती मैं कभी भी अपने आप को उस परिवार का हिस्सा ना बन पाई।
 क्योंकि मैं बनना ही नहीं चाहती थी क्योंकि परिवार के सभी सदस्यों का व्यवहार मेरे प्रति बहुत ही अच्छा था शादी के 2 साल बाद मैं बिल्कुल ही अपने आप को इस परिवार से अलग कर देना चाहती थी मेरी और रमेश की आए दिन लड़ाई होने लगी क्योंकि मैं रमेश को उसके परिवार से अलग रहने की जिद करने लगी परंतु वह अपने परिवार से अलग नहीं होना चाहते थे ।बात इतनी बढ़ गई कि उन्होंने मुझे एक दिन कह दिया कि" मैं शायद तुम्हें जीवन भर चाहूं !परंतु मैं अपने परिवार से अलग होकर तुम्हारे साथ नहीं रह सकता !मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं* तुम मेरी पहली और आखिरी पसंद हो !
परंतु मेरे माता-पिता ने बहुत मेहनत से मुझे पढ़ा लिखा कर  कर इस योग्य बनाया है कि मैं परिवार की जिम्मेदारी को उठा सकूं ।
मेरी दो बहने हैं दो भाई हैं जिन्हें पढ़ाना-लिखाना  और उनकी शादी करने की जिम्मेदारी अब मेरी है जब मेरी जिम्मेदारी पूरी करने की बारी आई तो मैं तुम्हें लेकर अपने परिवार से अलग नहीं हो सकता हूं लेकिन एक बात तुम यह जान लो कि मैं तुम्हारे बिना भी नहीं रह सकता हूं ?क्योंकि जितना मैं उन्हें प्यार करता हूं !उतना मैं तुम्हें भी प्यार करता हूं !अगर तुम मेरी इस निर्णय में मेरा साथ नहीं दे पा रही हो तो तुम जैसे भी रहना चाहती हो रह सकती हो। परंतु मैं तुम्हारे उस निर्णय में साथ नहीं रहूंगा?
 मुझे भी बहुत गुस्सा आया और मैंने अपना सब सामान समेटा और अपने मायके चली आई कुछ दिन तक तो मायके में सब ठीक रहा परंतु धीरे-धीरे सभी को यह पता चल गया कि मैं अपने पति को अपने परिवार से अलग करके उनके साथ रहना चाहती हूं ।तभी मेरे रिश्ते में एक दूर की भाभी है मेरा उनके यहां जाना हुआ भाभी भी अपने परिवार के सबसे बड़ी सदस्य थी और वह भी एक संयुक्त परिवार के साथ रहती थी जब मैं उनसे मिलने गई तो उन्होंने हंस कर मुझे गले लगाया अपने पास बैठाया कुछ ही देर में उनकी सास मुझसे मिलने आई उनकी ससुर उनकी ननद देवर है सभी आकर मुझसे बात करने लगे मेरे ससुराल का और मेरा हाल-चाल पूछने लगे सभी इतनी खुशी-खुशी एक दूसरे से बात कर रहे थे भाभी मेरे पास बैठी रही तभी उनके नंद  चाय पानी  ले आई मुझे देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि इतना बड़ा परिवार सब भाभी का  सहयोग कर रहे हैं और भाभी कितनी खुशी-खुशी इन लोगों के साथ इस घर में रहती हैं तभी भैया आऐ भाभी के बगल में बैठ गए और कहने लगे कि तुम्हारी भाभी के बिना तो मेरा एक दिन नहीं गुजार सकता है! मैं उनके बिना एक दिन भी नहीं रह सकता हूं यह ना हो तो मेरे परिवार का क्या हो! जब से यह मेरी जिंदगी में आई हैं मेरी तो जिंदगी ही बदल गई है ।
मम्मी पापा भाई बहन सभी इसे अपनी जान से बढ़कर ज्यादा मानते हैं और मेरी  यह दिल में रहती हैं।
 भैया कुछ देर बैठकर हंसी मजाक करके भाभी से चले गए ।तब मैंने भाभी से पूछा की भाभी आप इतने बड़े परिवार में कैसे एडजस्ट कर लेती हैं ।
आपको कुछ असहज महसूस नहीं होता ।
तब उन्होंने हंस कर कहा नहीं बेटा  क्यों होगा परिवार के बीच में रहना सबके! दुख सुख को समझना: यह लोग हमारी परेशानी को समझते हैं ;हम उनकी परेशानी को समझते हैं 'यही तो परिवार है; यही तो घर है "जहां सब एक दूसरे की समस्या को समझते हैं" उनका समाधान करते हैं "अगर यह ना हो तो कैसा परिवार !मुझे तो इन लोगों के बीच में रहना बहुत पसंद है !तुम भी अपने इस विचार को त्याग दो और रमेश के साथ खुशी-खुशी उसके साथ उसके घर में रहो! न जाने क्यों? मैं भाभी को देखकर के वहां के माहौल को देखकर के घर वापस आके मैंने तुरंत ही रमेश को फोन मिलाया। और मैं उनसे कहा कि मैं आपके साथ और आपके परिवार के सभी सदस्यों के साथ रहने को तैयार हूं ।
रमेश मेरे इस फोन से बहुत खुश हो गए उन्होंने कहा कि मैं अभी कार लेकर तुम्हें लेने आता हूं !मैं तुम्हारे बिना एक दिन भी नहीं रह सकता! परंतु मैं क्या करूं? तुम मेरे निर्णय में मेरे साथ नहीं हो !आज मैं बहुत खुश हूं कि तुम मेरे निर्दय में मेरे साथ हो !
जब रमेश मुझे लेकर घर गए तो मैंने देखा कि मेरी सास मेरी नंद मुझे देखकर बहुत खुश हो !गई मेरी सास एक थाली पूजा की  लेकर आई उन्होंने मेरा टीका किया और कहा कि है घर तुम्हारा है इस घर की लक्ष्मी हो तुम! इस घर की लक्ष्मी चली गई थी !जैसे लगा घर खाली' खाली हो गया! नंद कहने लगी भाभी आप नहीं रहती है तो घर में बहुत खाली खाली लगता है!
 अब आप कभी मत जाइएगा हम लोग को छोड़कर के न जाने क्यों? मैं भी अंदर-अंदर बहुत खुश हो रही थी मुझे भी लगा की परिवार में रहना ही सबसे अच्छी बात है इससे बड़ा धन और क्या हो सकता है ?भाभी से मिलना और उनसे मिलकर आना मेरी जिंदगी में एक बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो! गया !
और मैं खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ अपने पति के साथ रहने लगी!





 लेखिका पूनम मिश्रा

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

लड़का: शुक्र है भगवान का इस दिन का तो मे कब से इंतजार कर रहा था। लड़की : तो अब मे जाऊ? लड़का : नही बिल्कुल नही। लड़की : क्या तुम मुझस read more >>
Join Us: