Manju Bala 15 May 2023 कहानियाँ समाजिक आत्मनिर्भर लड़की ज्योति,dosti the kerala story, लड़कियों को चाहिए शिक्षा, सुरक्षा व रोजगार ,वासना ,.'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ', की मानसिकताशारीरिक भूख ,हवस दुखी लड़की , 6798 2 5 Hindi :: हिंदी
आत्मनिर्भर लड़की ज्योति बात कई सालों पहले की है मैं एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापिका थी मेरा परिवार शहर में रहता था और मैं एक गाँव में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने जाती थी मुझे शहर से गाँव जाने में एक घंटा लगता था तो उस स्कूल के प्रिंसिपल ने स्कूल के स्टाफ के लिए एक छोटी गाड़ी लगवा रखी थी हम सभी उसी वैन में आते जाते थे मैं कक्षा छह से दस तक सामाजिक अध्ययन पढ़ाती थी और मैं कक्षा आठवीं की क्लास अध्यापिका थी कक्षा आठवीं में सामाजिक अध्ययन पढ़ाती थी तो मैंने स्कूल अगस्त में शुरू किया था कक्षा आठवीं में एक लड़की जिसका नाम ज्योति था पढ़ाई में बहुत होशियार थी जिसका पक्का रंग था नैन -नक्श सुंदर दिखते थे और तेज तरार लड़की थी जो बहुत सुंदर दिखती थी रंग पक्का होने के बावजूद उसका नैन - नक्श बहुत ही अच्छा था और बड़ी हाजिर जवाब लड़की थी उसकी हाजिर जवाबी ने मुझे मोह लिया था मैंने उसे कक्षा का मॉनिटर बना दिया था वह एक दलित परिवार से आती थी वह दलित परिवार की लड़की थी पढ़ाई में मग्न रहती थी प्राचार्य ने मुझे बुलाया और कहा कि जिन बच्चों की दो महीने की फीस नहीं आई है आप बच्चों को जाकर कहो कि वे घर पर फीस जमा करने के लिए बोले उस में ज्योति का नाम भी था मैंने कहा कि बच्चों अपने माता-पिता को फीस जमा करने के लिए कहना बोलना मैंने देखा कि ज्योति का चेहरा उतर गया था ऐसे ही सात -आठ दिन बीत गए गांव में सरकारी स्कूल पांचवी कक्षा तक ही था और बारहवीं तक सरकारी स्कूल दूसरे बड़े गांव में जाना पड़ता था जो उस गांव से थोड़ा दूर पड़ता था और रास्ते में जंगल भी था फिर मुझसे फीस के लिए कहा गया और मैंने फिर कक्षा में जाकर फ़ीस के लिए कहा ज्यादातर बच्चों की फ़ीस जमा हो गई थी बस कुछ ही बच्चों की फ़ीस अभी जमा नहीं हुई थी कुछ ही बच्चों की फ़ीस अभी बची थी वैसे भी गांव में लोग ज्यादातर फसल बेचकर ही फ़ीस जमा करवाते थे या तो वह साल की एक साथ जमा करवा देते थे या फसल के दिनों में यानी कपास यानी बाड़ी या फिर बाजरा बेचकर ही ज्यादातर फ़ीस जमा करवाते थे लेकिन ज्योति के पिता दिहाड़ी मजदूर वाले आदमी थे और मुझे पता चला था कि वे कई दिनों से बीमार चल रहे हैं ज्यादा दारू पीते थे इसी वजह से उनके फेफड़े खराब हो गए थे और सरकारी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था और इस वजह से वह काम पर भी कम ही जा रहे थे और ज्योति और उसके परिवार में सारे आठ सदस्य थे चार बहनें और दो भाई और सारे भाई-बहन गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ते थे पांचवी तक ज्योति भी गांव के सरकारी स्कूल में ही पढ़ी थी छठी कक्षा में प्राइवेट स्कूल में दाखिला लिया था और पढ़ाई में वह बहुत होशियार थी और अब वह सात ,आठ दिन से स्कूल नहीं आ रही थी और मेरा उससे लगाव हो गया था वह क्लास में नहीं दिखती तो मुझे खाली- खाली लगने लगता था मैंने उसकी सहेली से पूछा कि वह क्यों नहीं आ रही तो उसने कहा कि उसके पिताजी की ज्यादा तबीयत खराब है इसलिए फिर वह दो-तीन दिन बाद स्कूल आ गई और एक महीने की फ़ीस लेकर आई और मेरे पास जमा करवा दी मैंने एक महीने की फ़ीस अपने पास से मिलाकर उसकी फ़ीस ऑफिस में जमा करवा दी अब मुझे कलास खाली-खाली नहीं लगती थी बहुत हंसमुख स्वभाव की थी उसको अभी एक महीना ही बिता था कि उसने फिर से स्कूल आना बंद कर दिया दो-तीन दिन बाद पता चला कि उसके पिताजी का देहांत हो गया उस दिन मुझे बड़ा बुरा लगा और एक अध्यापिका को लेकर मैं उसके घर पर गई बहुत ज्यादा तंग हालात में एक छोटा सा कमरा था जिसमें वे सब रहते थे और कमाई का और कोई साधन भी नहीं था मुझे ज्योति नजर नहीं आ रही थी मुझे देखते ही ज्योति रोती हुई मुझसे लिपट गई और मेरी आंखें भी भर आई और उसकी माँ भी बहुत रोई और फिर मैं घर आ गई लेकिन आत्मा पर एक बोझ था कि छह बच्चों को कैसे पालेगी अकेली औरत जो कि पढ़ी-लिखी भी नहीं थी लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाना चाहती थी अब एक महीना बीत गया उसे स्कूल आए एक दिन मैंने उसकी सहेली से पूछा कि क्या ज्योति स्कूल नहीं आएगी उसे एक महीना हो गया है तो उसकी सहेली ने कहा नहीं मैडम जी अब ज्योति स्कूल नहीं आएगी अगले महीने उसकी शादी है उसकी और उसकी छोटी बहन की जो पांचवी कक्षा में पढ़ती है उसकी बुआ ने रिश्ता करवाया है यह सुनते ही मैं एकदम सहम गई क्या शादी यह शादी कैसे हो सकती है अब मैं बहुत बेचैन हो गई और उस दिन एक अध्यापिका को लेकर उसके घर गई घर पर ताला लगा था कोई नहीं था मैं वापस लौट आई मुझे पूरी रात नींद नहीं आई लड़की की जिंदगी मेरी आंखों के सामने बर्बाद हो रही है क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर मैं अगले दिन उसके घर पर गई घर खुला हुआ था जैसे ही मैं पहुंची उसकी माँ ने कहा देख ज्योति तेरी मैडम आई है लड़की की आंखें भर आई और मुझसे लिपटकर रोने लगी मेरी भी आंखें भर आई फिर मैंने अपने आपको संभाला और उसकी माँ से कहा कि आप क्या करने जा रही हैं इन छोटी-छोटी बच्चियों की शादी करना चाहती हैं उसकी माँ ने कहा मैडम मैं क्या कर सकती हूं और मेरे पास कोई चारा नहीं है बातों- बातों में मुझे पता चला कि लड़के कोई उनकी हमउम्र नहीं हैं बल्कि 35- 40 साल की उम्र के आदमी हैं मैंने उन्हें समझाया कि आप ऐसा मत कीजिए कोई ना कोई रास्ता निकल आएगा आप मुझ पर विश्वास कीजिए और उनकी बुआ जी को मेरे पास लेकर आना उसके बाद फिर दो-तीन दिन बाद उसकी माँ और उसकी बुआ जी स्कूल आई मैंने उसकी बुआ जी को बहुत समझाया कि लड़कियों की जिंदगी बर्बाद मत करो और कानून के हिसाब से भी उनकी उम्र बहुत छोटी है अगर आप उनकी शादी करोगी तो मैं पुलिस बुला लूंगी क्योंकि अभी वह 14 साल की है और 18 साल से पहले शादी कानून अपराध है आप इनकी थोड़ी बहुत और तरीके से मदद कर सकती हो , परंतु कृपा शादी मत करवाइए बुआ नाराज होकर चली गई मैंने माँ को आश्वासन दिया कि कोई ना कोई हल जरूर निकलेगा मुझे सोचने का मौका दीजिए और उसकी माँ ने कहा चलो ठीक है देखते हैं फिर मैं दो दिन बाद में एक अध्यापिका के साथ गांव के सरपंच के पास गई जो अध्यापिका के घर परिवार का ही था मैंने सरपंच जी से ज्योति की माँ के बारे मे बात की कि ज्योति की माँ को मनरेगा के तहत कोई कार्य या आंगनवाड़ी स्कूल में खाना बनाने वालों में लगवा दो तो मैंने उन्हें सारी बात बताई और सरपंच ने कहा कि अभी स्कूल में खाना बनाने वाली औरतों की भर्ती हो रही है मैं इसमें उस लगवा दूंगा समस्या का समाधान मिल गया था आधी समस्या खत्म हुई थी फिर दो-तीन दिन बाद उसकी माँ को बुलवाया और सारी बातें बताई वह खुश हो गई और फिर ज्योति को साइकिल भी मैंने लाकर दी , कि वह बड़े गांव वाले सरकारी स्कूल में जाकर पढ़ सकती है और उसकी छोटी बहन गांव वाले सरकारी स्कूल में पढ़ सकती है कई साल बीत गए अब मैं उस स्कूल में नहीं पढ़ाती हूं और ज्योति ने 12वीं में कई गांव में सबसे ऊपर का पद हासिल किया उसने गांव में टॉप किया और दसवीं कक्षा में ही उसने गांव के छोटे बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया और चार ,पाँच हजार वह कमाने लग गई थी इस तरह माँ का हाथ भी वह बटाने लग गई थी और उसने 12वीं के बाद जेबीटी कि और आज वह सरकारी स्कूल में अध्यापिका है और अभी कुछ दिन पहले मैं उसकी शादी में गई थी और जिससे उसकी शादी हो रही है वह भी एक सरकारी अध्यापक है वह भी सरकारी नौकरी पर है और कोई दहेज भी नहीं माँग था उसे बस लड़की पढ़ी-लिखी चाहिए थी ज्योति ने कहा मैडम जी आज मैं जिस मुकाम पर पहुंची हूं उसमें आपका बहुत बड़ा योगदान है मैं आप का कर्ज कैसे उतार सकती हूँ मैंने कहा मेरा कर्ज तुम एक तरह से उतार सकती हो उसने कहा कि वह कैसे मैडम जी मैंने कहा अगर कोई लाचार बच्चा तुम्हारे स्कूल में हो तो उसकी मदद जरूर करना बस मेरा कर्ज उतर जाएगा और वह खुश हो गई और उसने सभी भाई बहनों को भी सही रहा दिखाई और वह सब भी पढ़ लिख रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं घर में अगर एक को सही राह मिल जाती है तो फिर सभी छोटों को भी सही राह मिल जाती है मैं इस कहानी के माध्यम से यह कहना चाहती हूं कि कभी-कभी हमारी एक पहल किसी की जिंदगी बदल सकती है बाद में हमें मलाल हो या पछतावा हो इसलिए वह एक कदम हमें उठा लेना चाहिए उस वक्त ज्योति की मदद नहीं की जाती तो आज वह एक अधेड़ उम्र के आदमी की औरत होती और कहां वह आज एक पढ़ी-लिखी आत्मनिर्भर लड़की है |
I have done M.A in three subjects these are Hindi ,History ,Political science. I have also done M.Ed...