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प्रेम-जीवन का सार

DINESH KUMAR KEER 09 May 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 7018 0 Hindi :: हिंदी

प्रेम के हैं दो रंग जुदा
एक मिलन और एक विरह
एक नाम समर्पण का
एक नाम त्याग का
एक बिन बोले आँखों की
बात समझना
एक दूर रह के दुआओं में
याद करना
एक सुबह से शाम का इंतज़ार
तो
एक अगले जन्म में मिलने की
फ़रियाद करना
एक कमियों को नज़रंदाज करना
एक किसी कमी के कोई
मायने ना होना
एक रुक्मणी बन जीवन भर
साथ रहना
एक राधा बन हृदय की
धड़कन बनना
प्रेम के ही रंग दो
कैसे कहें कौन सा रंग
गहरा किस से
समर्पण या त्याग
दोनों की तुलना कैसी?
समर्पण में अहम् ना आए
तो वो श्रेष्ठ
विरह का कारण अहम ना हो
तो वो श्रेष्ठ
प्रेम तो प्रेम है
जीवन का सार यही
सृष्टि का आधार यही
इसमें अहम् का स्थान कहाँ
और अहम् हो तो
फिर वो प्रेम कहाँ

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