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आज इंसानियत

संदीप कुमार सिंह 22 Mar 2024 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता सीधे दिल में उतर जाती है. 2572 0 Hindi :: हिंदी

आज  इन्सानियत को  लगता है किसी ने चुरा लिया है।
आज  अपना ही  अपना  बनकर सिर्फ धोखा  दिया है।
 चिन्ता इसका हल नहीं वक्त के साथ सम्हलना पड़ेगा _
नाम उसी का  होगा जिसने जिन्दगी को भरपूर जिया है।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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