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ये दुनियादारी है-हर हद एक दिन जिद बदल दे

Raj Ashok 04 Feb 2024 कविताएँ समाजिक दुनियांदारी 4975 0 Hindi :: हिंदी

हर हद, एक दिन जिद बदल दे। 
तो क्या......? 
ख्वाब सच होने से पहले हौसला
तोड़ दे......? ...देख 
ये दुनिया तस्वीरों का क्या करे।।
जीत है। तो जश्नन है। 
हार है ।तो तौहीन है। 
बस खुबसरत रहती है।
हर याद ,
जो सुन्दर पलों की कहानी थी। 
सोच,
बिना घोसलों के रहते 
पक्षियों ने क्या जमाना नहीं देखा। 
देखा हे। कदम -कदम पर देखा है। 
दोस्त
ये दुनियादारी है ।
यहाँ मुनाफे की साझेदारी है। 
लोग उसी के साथी है। 
जिसका आज है।

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