Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख समाजिक हमारे महान संस्कृति और राष्ट्रगान 37875 2 5 Hindi :: हिंदी
यह मेरी रचना है, मुझे आप सबके साथ, शेयर करने में खुशी हो रही है, सबसे पहले मैं अपने पाठकों को, लाख-लाख धन्यवाद देता हूं,( हमारी महान संस्कृति और राष्ट्रगान) हमारी लेख का मुख्य विषय यही है- मैं आज इसी पर अपना विचार प्रकट करने वाला हूं_ क्योंकि हमारे देश में, अभी भी कितने लोग ऐसे हैं, जिन्हें राष्ट्रगान का मतलब नहीं पता, तो आइए हम इस लेख के जरिए, उसे कुछ थोड़ा जानने की कोशिश करें,( जना गण ) अर्थात- जन_ लोग,( ) गण- समूह, या सेना,( जब सब लोग एक समूह बनकर, एकमत होकर,( मन अधिनायक) मन के अधीन होकर, एक विचारों में जुड़कर_ अधिनायक, सर्वश्रेष्ठ उपाधि,( सर्वश्रेष्ठ उपाधि वही पाता है, जो सामने वाले व्यक्ति के लिए, अपना सब कुछ निछावर करता है, उसे ही सर्वश्रेष्ठ उपाधि दी जाती है, अतः वही नेता कहलाता है,( सब लोग एकमत होकर, एक कार्य के प्रति, सच्चे हृदय से, कार्य करेंगे,) तो उस कार्य में जीत हमारी ही होगी- हमारी भारतीय संस्कृति यही कहती है_ भगवान श्री कृष्ण, अगर चाहते तो महाभारत का युद्ध अकेले समाप्त कर सकते थे" लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया"" क्योंकि उनका मानवता मात्र को यही संदेश देना था, कि कोई बड़ा कार्य, अकेले नहीं किया जा सकता, उसमें सबको सहभागी होना पड़ेगा, सबको साथ चलनी पड़ेगी, तभी सत्य की जीत होगी,( अगर भगवान श्री कृष्ण, उस वक्त ऐसा करते_ तो आज कोई बड़ा कार्य, इंसान नहीं कर पाता,( क्योंकि वह उसे अकेला करने की कोशिश करता, जो असंभव था,( भगवान श्रीराम ने भी_ रावण को हराने के लिए, वानर सेना का संगठन किए थे,, क्योंकि कभी भी, बड़ा कार्य को, कोई अकेले अंजाम नहीं दे सकता"( भारत भाग्य विधाता) हम सब मिलकर भारत का भाग्य लिख सकते हैं, और भारत का भाग्य विधाता है_ अगर हम अपने भारत का, भाग्य को, विधाता नहीं मानते, तो किसे माने, हमारी संस्कृति कहती है, कि देश की रक्षा आगे होनी चाहिए, तभी हमारा भविष्य सुधर सकता है,, तभी हमारा आने वाला कल बेहतर हो सकता है, अगर हम 4 धर्मों में चार विचारधारा में, लिपटे रहेंगे तो, कभी भी देश का भला नहीं हो सकता, मैं यहां पर धर्म की बात नहीं करता, मैं तो उन विचारधाराओं की बात करता हूं, जो हमें आपस में l लड़ने पर मजबूर करती है, पंजाब सिंध गुजरात मराठा,( अगर हम इस वाक्य को ऐसे ले) क्या पंजाबी क्या सिंधी क्या गुजराती क्या मराठी,( द्रविड़ उत्कल बंगा) द्रविड़- अगर हम इसे से मानते हैं,( हमारा अस्तित्व- सच्चाई, स्ट्रांग हो," तो हमें कोई कमजोर नहीं कर सकता, हमें कोई हरा नहीं सकता, इस पंक्तियां में, उन्होंने- किसी भाषा को किसी संस्कृति को किसी राज्य को, बांटने की बात नहीं कही है, उन्होंने तो हम एक विचारधारा पर, चलने के लिए प्रेरित किया है,, लेकिन फिर भी कौन हमें आपस में) आपस में लड़वाने का काम करती है, और हम लोग ऐसा करते भी हैं, जो हमें आपस में ही बांट देते हैं, वह हमारा संविधान नहीं हो सकता, वह तो कुछ देशद्रोहियों का काम था, हमारी संस्कृति ऐसा नहीं कहते, इस कार्य के लिए इजाजत नहीं देती, विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग( अगर हम ऐसे समझे तो गंगा" नदी एक महान हस्ती है, जमुना नदी भी कुछ कम नहीं, हिमाचल की चोटियों से गुजरते हुए गंगा लोगों के कल्याण में बहते चली जाती है, तब उनकी जल की धारा, आसमान को छूती है-( अर्थ - अगर दो महान हस्तियां भी आपस में मिल जाए तो उन्हें कोई हरा नहीं सकता उनकी जीत निश्चित है हमारी संस्कृति भी कुछ इसी तरह से है- भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन- दो महान हस्तियां थे_ इसलिए युद्ध भूमि में, दुर्योधन की हार हो गई,( मैं उस महान संस्कृति को, तह दिल से धन्यवाद देता हूं, जो इस तरह की विचारधारा, हम सबके सामने प्रकट करती है, गाहे तव जय गाथा) इसे हम इस प्रकार से समझ सकते हैं( तब शुभ नामे जागे तब शुभ आशीष मांगे- जब कोई व्यक्ति, कोई बड़े कार्य करने के लिए संकल्प लेगा, तब उन्हें_ आशीष की जरूरत होती है_ भगवान श्री राम, रामेश्वर सेतु बांध बांधने से पहले, भगवान शिव की आराधना की थी, और उनकी वरदान से , यह संभव हो पाया था, अतः हमारी संस्कृति कहती है, कोई कार्य हमें स्वयं नहीं करनी चाहिए, बल्कि उस कार्य को करने से पहले, बड़ों से इजाजत लेना जरूरी होता है, उनका भी राय जान,लेना जरूरी है, हमारी महान संस्कृति कह रही है, कि हमें बड़े बुजुर्गों से, कोई कार्य करने से पहले, उनसे पूछना चाहिए, जब वह इस बात के लिए सहमति हो, तभी हमें वह कार्य करने चाहिए, तभी वह कार्य सिद्ध होगी, मैं राष्ट्रगान महान संस्कृति को नमन करता हूं भारत की संस्कृति भारत में होना बड़ी सौभाग्य की बात है, आज कुछ लोग ऐसे ही भरे पड़े हैं, जो मुंह उठाकर, भारतीय संस्कृति को अपमान करने के लिए आगे बढ़ जाते हैं,
1 year ago
1 year ago
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...