DINESH KUMAR KEER 30 Jun 2023 कहानियाँ अन्य 4723 0 Hindi :: हिंदी
सुंदरता एक कौआ सोचने लगा कि पंछियों में मैं सबसे ज्यादा कुरूप हूँ । न तो मेरी आवाज ही अच्छी है , न ही मेरे पंख सुंदर हैं । मैं काला - कलूटा हूँ । ऐसा सोचने से उसके अंदर हीन भावना भरने लगी और वह दुखी रहने लगा । एक दिन एक बगुले ने उसे उदास देखा तो उसकी उदासी का कारण पूछा । कौवे ने कहा – तुम कितने सुंदर हो, गोरे - चिट्टे हो, मैं तो बिल्कुल स्याह वर्ण का हूँ। मेरा तो जीना ही बेकार है । बगुला बोला – दोस्त मैं कहाँ सुंदर हूँ । मैं जब तोते को देखता हूँ , तो यही सोचता हूँ कि मेरे पास हरे पंख और लाल चोंच क्यों नहीं है । अब कौए में सुन्दरता को जानने की उत्सुकता बढ़ी । वह तोते के पास गया । बोला – तुम इतने सुन्दर हो , तुम तो बहुत खुश होते होगे ? तोता बोला - खुश तो था लेकिन जब मैंने मोर को देखा , तब से बहुत दुखी हूँ , क्योंकि वह बहुत सुन्दर होता है । कौआ मोर को ढूंढने लगा , लेकिन जंगल में कहीं मोर नहीं मिला । जंगल के पक्षियों ने बताया कि सारे मोर चिड़ियाघर वाले पकड़ कर ले गये हैं । कौआ चिड़ियाघर गया , वहाँ एक पिंजरे में बंद मोर से जब उसकी सुंदरता की बात की , तो मोर रोने लगा । और बोला – शुक्र मनाओ कि तुम सुंदर नहीं हो , तभी आजादी से घूम रहे हो वरना मेरी तरह किसी पिंजरे में बंद होते । कहानी का सारांश :- दूसरों से तूलना करके दुखी होना बुद्धिमानी नहीं है । असली सुन्दरता हमारे अच्छे कार्यों से आती है ।