Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक होली 87003 1 5 Hindi :: हिंदी
क्यारी में, फुलवारी में, हंसती है फाग जवानी। झूमे मंजरी संग तितली, फाग की अगवानी। बौराए, मधुमास में, भौंरा-भौंरी सारंग। प्यार पुराने जी उठे, बीती यादों के संग। छोटे-बड़े सभी में, होली का हुड़दंग। ईद मिलन को आ गई, ले हाथ में रंग। तरल बनाते रिश्तों को, प्यार का रंग अबीर। मुखर- मस्त हो गए , जो थे शांत गंभीर। फगुनहट, फगुनहरा, वो चौपाली चंग। मन-रंजिश के राग को, बहा ले गया रंग। आओ सब मिलकर जला दें, बुराइयों की होली। एक-दूसरे की भर दें, प्यार-प्रेम से झोली।
11 months ago