MAHESH 30 Mar 2023 गीत धार्मिक निर्गुण रचना 8682 0 Hindi :: हिंदी
स्वरचित रचना--- गोलियां अइंठा न बदनिया..! संदर्भ--- एक अवधी/भोजपुरी लोकभाषायी निर्गुण रचना। गोरिया,अइंठा न बदनिया, ससुरे जाइ का परी। टेक०।। बालापन सब खेल गंवाइऊ, मटिया, धुरिया सानी। चढ़ी जवानी मा चलिऊ उतानी, खूब किहिऊ मनमानी। कारी होइगै, कोरी चुनरिया, ससुरे जाइ का परी। 1।। चार कहार मिल डोली उठइहैं, जब गवने कै दिन अइहैं। वश न चले फिर तोहरौ गोरी पिय के घर लै जइहैं। छुटि जाये माया की ई नगरिया, ससुरे जाइ का परी। 2।। काव बताइबू सुना हे गोरी, जब संइया सन्मुख अइहैं। लाख छुपइबू, मगर हे गोरी, सगरौ पोल खुलि जइहैं। रोइबू छोड़ि तुहूं भोकहलिया, ससुरे जाइ का परी।3।। तो कहैं 'महेश' सुना हे गोरी, अबहिंऊ बाय सवेर। आदत लिया सुधार हे गोरी, अब न करा अंधेर। जाके पकड़ा गुरू चरनिया, ससुरे जाइ का परी। 4।। कइल्या गोरी तू हरि भजनिया, ससुरे जाइ का परी। ~✍️ महेश