Shakuntla Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य # दर्द को बेअसर कर# जख्मो पर# टुटे हुए दिल# आपने कांच 19838 0 Hindi :: हिंदी
टूटे हुए दिल के टुकड़े लेकर कहां जायेगे । आयने है कॉच के टूटकर बिखर जायेगे ॥ फना हुए अपना कहने वाले सभी अपने । उजालों की आस में हम रुसवा तुम्हे कर जायेंगे ॥ अंधेरे पन की आदत सी होने लगी "शकुन" अब । चिरागों को मत जलाओ बीते लम्हे उभर जायेगे ॥ अश्क जो मोती बनकर इस जमी पर गिरे जो कही शहर और चमन उजड़ कर यूं विराने छा जायेगे ॥ गम सहकर भी जिन्दा रहे कोई ये सहज नहीं है । ज़ख्मों पर दर्द का असर बेअसर यूं कर जायेगे ॥