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सबका मालिक एक है-अलग अलग है नाम

संदीप कुमार सिंह 10 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5047 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
सबका मालिक एक है,अलग अलग है नाम।
इनमें उलझें मत कभी,पूजा जाता काम।।

सबका मालिक एक है,सृष्टि सकल के यार।
जितना ढूंढों अन्त मत,कण कण में करतार।।

सबका मालिक एक है,जिनसे है सब लोक।
मालिक में विश्वास हो,रहिए बने अशोक।।

सबका मालिक एक है,जीवन यह वरदान।
सही मार्ग पर हम चलें,करूं नहीं अभिमान।।

सबका मालिक एक है,जो हैं अति अनमोल।
उनसे डरके हम रहें,सदा रखूं मृदु बोल।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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