Manasvi sadarangani 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक अपने सपने 19195 0 Hindi :: हिंदी
अधूरे सपनों को पूरा करने चले है हम, अपने मा बाप की कोशिशों को सच करने चले है हम। ख्वाबों को हकीकत बनाने में वक़्त तो लगता है साहब , पर उच्ची इमारतों पर घर भी उनके ही बनते है जो अपने ख्वाबों के लिए लड़ते है। राह में चाहे जितने कांटे मिले, हौसला कम ना करेंगे हम, अपनी मंजिलों को पाने के लिए डर से ना डरेंगे हम। श्रीमती मनस्वी सदारंगानी