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प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो..

Kishor Kumar Bhardwaj 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो.. 6420 0 Hindi :: हिंदी

प्रेम की स्वप्निल डगर पर 
दो तरफ हम एक पथ पर 
पुलक चलते, समानांतर
पर कभी जुड़ने की कोई आस न हो 
प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो!

एक सखी हो , न प्रेयसी हो
हर झलक स्पर्श सी हो
शून्य स्वप्न, बस अब-अभी हो
हो समर्पण पर कभी कोई ख्वाब न हो
प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो!

झिझकना और हिचकिचाना
तंग करना, फिर मनाना
खूब लड़ झगड़ के, मुस्कुराना
यूँ बीत जाए उम्र पथ, पर बात न हो
प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो!


अलग यौवन, अलग जीवन
हो अलग साथी, अलग प्रियतम
सकल दूरी, सकल बंधन
भर भीड़ में हम हो मगर, एहसास न हो
प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो!

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