संदीप कुमार सिंह 23 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगें। 3874 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:-दोहा छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" करते नहीं विचार जो,करते कुछ भी काम। आये जब परिणाम तो,लगता उसे लगाम।। करते नहीं विचार जो,और नहीं परवाह। कुछ दिन तो वह ठीक है,आगे मुश्किल राह।। करते नहीं विचार जो,रहे सदा बेरंग। खुद से खुद का कर बुरा,जीते कभी न जंग।। करते नहीं विचार जो,उसको हो संताप। डरे नहीं परिणाम से,लेता सर पर पाप।। करते नहीं विचार जो,बुड़बक वह है खास। करे दंग कर्तव्य से,लेकर बदतर आस।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....