Rukmini 07 Apr 2023 कविताएँ समाजिक 23393 0 Hindi :: हिंदी
नारी वह फूल है जो सबको खुशबू देती है, नारी वह प्रकाश है जो सबको रोशनी देती है l नारी एक ऐसी पेड़ है जो सबको छाया देती है, नारी ऐसी फूल है जो घर को बगीचा बना देती है l नारी ऐसी रूप है जो घर को मंदिर बना देती है, नारी ममता का रूप है जो सबको जीना सिखा देती है l फिर भी नारी आजाद नहीं वह क्यों इतना सोचती है, सब अपने हैं कहकर सब की जिल्लत सह लेती हैl इतना सब कुछ सहकर भी कुछ नहीं वह कहती है, क्यों वह सब कुछ सह लेती हैl क्यों वह सब कुछ सह लेती है, क्यों अपने भविष्य से सबको खेलने देती है l क्यों अपने जीवन किसी और को बेलने देती है, क्यों यह दुनिया इस समाज को भगवती को पूजने देती हैl अरे वह भी तो एक महिला है क्या वह रोटी बना कर देती है, दुनिया उसको भूल जाती जो उसको पैदा करती है l दुनिया उसको भूल जाती है जो परिवार को एक धागा में पिरौती है l दुनिया उसको भूल जाती जो उसके लिए बाबुल की अंगना छोड़ देती है, नारी वह प्रकाश है जो सबको रोशनी देती है lनारी की सहन शक्ति नारी वह शिक्षक है जो सबको शिक्षा देती है, नारी किसी से कम नहीं वह पल भर में बतला देती है l