Saurabh Sonkar 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत इश्क़ में मैं घुट रहा ये अंतर्मन का द्वंद्व है कैसे बता दूँ मैं तुम्हें तुम कौन हो मेरे लिए ज्वार मन में उठ रहा श्रृंगार मन उठ रहा अंतर्मन में द्वंद्व है मना लूँगा, बता दूँ क्या 9377 0 Hindi :: हिंदी
जता दूँ क्या ? ______________________ इश्क़ में मैं घुट रहा ये अंतर्मन का द्वंद्व है कैसे बता दूँ मैं तुम्हें तुम कौन हो मेरे लिए ? सपना ख़्वाब ज़ाम हकीकत मदहोशी नशा एहसास क्या -क्या हो ? तुम्ही से इश्क़ है ये तुमसे बता दूँ क्या ? बिना अल्फ़ाज के ही मैं हवा दूँ क्या ? इंकार कर देगी वो इसी डर को हटाकर मैं जता दूँ क्या ? तुम्हारे दूर जाने का डर भी दिल के है मेरे भीतर ? तुम्हारे रूठ जाने का मन में एक द्वंद है मेरे भीतर ? मना लूँगा यकीं इतना कि नजरों में न गिर जाऊँ बस डर है मेरा इतना ? इश्क़ और जंग में सब जायज है पर ये भी कहाँ पता क्या नजायज है ? बहुत हिम्मत जुटाकर चलो जता भी दें इस दिल की तुम्हें तृष्णा ? किया है सब्र सालों से किया है इंतिजार बरसों अब ये हकीकत भी सपना ही है क्या ? मन में ज्वार है आरम्भ की है द्वंद भी प्रतिद्वंद भी मुख कांति की है शांति की जमघट भी आनंद भी ? ये इश्क़ भी क्या चीज है चैन सुःख भी है डर दुःख भी है भ्रांति भी और क्रांति भी ? कैसे बता दूँ मैं तुम्हें तुम कौन हो मेरे लिए हवा दूँ क्या,बता दूँ क्या, जता दूँ क्या ? ज्वार मन में उठ रहा श्रृंगार मन उठ रहा अंतर्मन में द्वंद्व है मना लूँगा, बता दूँ क्या ? युद्ध सी बयार है जंग सी पुकार है रंणभूमि सी ललकार है जता दूँ क्या, बता दूँ क्या ? भले ही दूर रहता हूँ तुझे महसूस करता हूँ तेरी आवाज सुनने को बहुत बेचैन है ये मन ये इश्क़ ही है न कुछ और तो नही ? इश्क़ में मै घुट रहा ये अंतर्मन का द्वंद्व है रुक जाऊँ बढ़ जाऊँ क्या करूँ जता दूँ क्या बता दूँ क्या ? ✍️✍️ SAURABH SONKAR