Prince 06 Jun 2023 कविताएँ दुःखद #Google #हिन्दी कविता #समाजिक #हिन्दी साहित्य #दुःखद 5334 2 5 Hindi :: हिंदी
आह ! बालासोर ट्रेन हादसे की, आँसू दिल में रुला देने वाली। दुःख भरे कथित निर्माण जीवों की, भगवान के पास बुला देने वाली। गाड़ी छूटी रेलों से रात अंधेरी, सूखी हो गई नदियों की धार हाँफी। माताओं का दर्द, पिताओं का आँसू, सुनी रेलगाड़ी ने गहरा स्वर माँगी। बेबस यात्री तनहाई की ज़बान, टूटी रेल ने लिखा रुदाली यह कहानी। नदी के बहते पानी की तरह, वह लिए चली गई अनमोल मासूमियत जहाँ से। धड़कते हृदय में खामोशी की आवाज़, टूटे हुए सपनों की छटा घाटी में। निरंकुश परिवारों की वीरानी, छीन ली गई मुस्कानों की चमकी। सड़क पर बसी हर उम्मीद की जड़, वह टूट गई बालासोर की जिंदगी में। जिंदगी के नाम जब एक दुर्घटना बन जाती है, तब आखिरी यात्रा की दस्तान बन जाती है। आह ! बालासोर ट्रेन हादसे की, दर्द भरी कविता ये सुनाने वाली। मनुष्यता के हारे हुए इंसानों की, गहरी पुकार को सम। दोस्तो ! कविता अच्छी लगे तो शेयर , फॉलो और कमेंट जरुर करें एक कविता लिखने मे बहुत मेहनत लगती हैं । आपका बहुत आभार होगा । लेखक : प्रिंस ✒️📗
9 months ago
I am a curious person. Focus on improving yourself not 'proving' yourself. I keenly love to write st...