राकेश 21 May 2023 कहानियाँ अन्य भालू बंदर चाचा, आजादी का हनन, गुलामी का दुख, जंगली जानवर, चिड़ियाघर पशु पक्षी की आजादी को छीनता है। 6991 0 Hindi :: हिंदी
एक दिन मौका देख कर वृद्ध भालू और बंदर चिड़ियाघर की ऊंची ऊंची दीवारें कूदकर कर चिड़ियाघर से आजाद होकर घने जंगल की तरफ भाग जाते हैं। इस चिड़ियाघर में दूर-दूर से लोग अपने परिवार के साथ इसलिए आते थे, क्योंकि भालू और बंदर उनका अपनी अनोखी और अजीब हरकतों से बहुत मनोरंजन करते थे। भालू और बंदर को सिगरेट पीने की लत थी वह चिड़ियाघर घूमने आने वाले लोगों से सिगरेट मांग मांग कर पीते थे और सिगरेट पीते हुए सिगरेट का अंधाधुन धुआं उड़ाते थे। और जब सिगरेट पीते हुए इनको जबरदस्त खांसी आती थी, तो यह खांसते-खांसते जमीन पर लेट जाते थे, इनको ऐसा करते देख चिड़ियाघर घूमने वाली जनता के हंस-हंसकर पेट में दर्द हो जाता था। चिड़ियाघर से भालू और बंदर के भाग जाने की वजह से चिड़िया घर घूमने आने वालों की जनसंख्या बहुत कम हो जाती है। और उन दोनों के बिना चिड़ियाघर की कमाई में बहुत बड़ी कमी आ जाती है। इसलिए चिड़ियाघर के बड़े अधिकारी अपने कर्मचारियों को भालू और बंदर को ढूंढ कर पकड़ने का सख्त आदेश देते हैं। चिड़ियाघर के कर्मचारी इन दोनों को ढूंढने के लिए रोज घने जंगल में जाते थे, और इनके ना मिलने के बाद रोज शाम को निराश होकर वापस चिड़िया घर आते थे। एक दिन भालू और बंदर को ढूंढते ढूंढते चिड़ियाघर के कर्मचारी बहुत थक जाते हैं, और वह अपनी गाड़ी जंगल में एक जगह खड़ी करके आराम करते हैं। उसी समय एक सफेद रंग की हट्टी कट्टी जंगली बिल्ली की नजर इन कर्मचारियों की गाड़ी पर पड़ती है। और बिल्ली इन चिड़ियाघर के कर्मचारियों की गाड़ी के पास चुपचाप बैठ कर इनकी बातें सुनने लगती है। चिड़ियाघर के कर्मचारी आपस बात कर रहे थे, कि शायद घने जंगल के इस क्षेत्र में हमें भालू और बंदर चाचा मिल सकते हैं। जंगली सफेद बिल्ली समझ जाती है कि यह चिड़ियाघर के कर्मचारी हैं और बंदर भालू चाचा को पकड़ने आए हैं। इसलिए वह जल्दी से जल्दी बंदर भालू चाचा को यह जानकारी देने के लिए भागकर उनके पास पहुंचती है। जंगली सफेद बिल्ली को भालू बंदर चाचा एक पेड़ के नीचे बहुत से जंगली जानवरों के साथ बैठे हुए दिखाई देते हैं। उस समय वह दोनों सिगरेट पी रहे थे, और चिड़ियाघर के किस्से सुना सुना कर जंगल के जंगली जानवरों का मनोरंजन कर रहे थे। भालू बंदर चाचा आयु में और तजुर्बे में सारे जंगली जानवरों से बड़े थे, इसलिए उनके जंगल में आने से चारों तरफ रौनक हो गई थी। जंगल के सब जंगली जानवर उनको बहुत प्यार करते थे। जंगली सफेद बिल्ली जल्दी से उनके पास पहुंचकर अपनी लंबी लंबी सांसों पर नियंत्रण करके उन्हें चिड़ियाघर के कर्मचारियों की सारी बातें बताती है। जंगली सफेद बिल्ली की यह बात सुनकर भालू बंदर चाचा के साथ जंगल के बाकी जानवर भी चिंतित हो जाते हैं। और कुछ देर में ही चिड़ियाघर के कर्मचारी जाल डंडा रस्सी लेकर भालू बंदर चाचा को वही पकड़ने आ जाते हैं। अपने को चिड़ियाघर के कर्मचारियों से चारों तरफ से घिरा देखकर भालू बंदर चाचा चिड़ियाघर के कर्मचारियों के रोते हुए हाथ जोड़ने लगते हैं। और चिड़ियाघर के कर्मचारियों से कहते हैं कि "हम अपनी बची कुची जिंदगी खुली हवा में अपने जंगल में जंगली जानवरों के साथ जीना चाहते हैं।" भालू बंदर चाचा की यह बात चिड़ियाघर के कर्मचारियों को समझ में आ जाती है। इसलिए वह भालू बंदर चाचा को प्यार करके जंगल में आजाद छोड़ कर चले जाते हैं। कहानी की शिक्षा- इंसान पशु पक्षी किसी की भी आजादी छीनने का किसी को भी हक नहीं है।