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वर्षा–ऋतु र्षा अपनी सहपाठी अंजली के साथ मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में रहती थी

Mohd meraj ansari 20 Sep 2023 कहानियाँ समाजिक वर्षा, ऋतु, रितु, बारिश, मौसम, गांव, गरीबी, बदहाली,बदलाव, मेहनत, सोच, साथ, जुड़वा, लड़की, जुदा, अलग, मिलना 5056 1 5 Hindi :: हिंदी

वर्षा अपनी सहपाठी अंजली के साथ मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में रहती थी और साथ में ही पढ़ाई किया करती थी. रात को दोनों का खाना बनाने का विचार नहीं था. सोचा कि कहीं बाहर कुछ खा लेते हैं आज रात. दोनों बाजार की ओर चल दीं. बाजार में जाकर देखा तो खाने-पीने की बहुत सी चीजें थीं लेकिन कुछ ऐसा खाएँ जिससे सेहत पर बुरा असर ना पड़े क्यूँकी कुछ दिनों में ही इम्तेहान शुरू होने वाले थे. कुछ हल्का-फुल्का खाया और हॉस्टल की ओर लौट आयी. देर रात तक पढ़ाई की और दोनों सो गई. अगले दिन उन्हें बाजार से कुछ सामान लेना था इसलिए शाम को दोनों बाजार गई. सामान लेकर ऑटो - रिक्शा में बैठी ही थीं कि किसी से वर्षा का पर्स छीन लिया और भागने लगा. दोनों रिक्शा से उतर कर उसके पीछे भागी. वो कोई लड़की थी जिसने पर्स छीना था. भागते हुए वो लड़की किसी खंबे से टकरा गई और उसका चेहरा खुल कर सामने आ गया. खंबे पर लगी बत्ती की रोशनी में उसका चेहरा देखकर वर्षा और अंजली दोनों स्तब्ध रह गईं. वो लड़की हूबहू वर्षा जैसी दिख रही थी. खंबे से टकराने की वजह से उसके कंधे पर चोट आयी लेकिन वो अपनी जान बचाकर वहाँ से भाग गई. वर्षा अंजली के साथ हॉस्टल वापस आ गई. पर्स मे कुछ खास सामान नहीं था इसलिए उन्हें पर्स चोरी होने की कोई चिंता नहीं थी लेकिन वर्षा की शक़्ल की कोई लड़की शहर में चोरी कर रही है ये वर्षा के लिए परेशानी वाली बात थी. कहीं उसे समझ कर कोई वर्षा को चोरी के इल्ज़ाम में पकड़ ना ले. इसी चिंता में दोनों सो गई.
कुछ दिनों बाद इम्तेहान शुरू हुए. दोनों ने अच्छी तैयारी कर रखी थी. इम्तेहान अच्छा गुज़रा और छुट्टी मनाने वर्षा अंजली के साथ अपने गाँव पहुंची. गाँव में पहुंचते ही सब में खुशी की लहर दौड़ गई. जैसे गाँव की देवी गाँव में वापस लौट आयी हो. सब उसे बड़े ही सम्मान के साथ उसके घर ले गए. अंजली ये सब देख कर सोच में डूबी हुई थी कि वर्षा के साथ सब देवी जैसा व्यावहार क्यूँ कर रहे हैं. घर पर उसके स्वागत का अच्छा इन्तेजाम था. दोनों ने माता-पिता और दादी मां के पैर छुए और अपने कमरे में आराम करने चली गईं. अंजली के पेट में स्वागत समारोह वाली बात पच नहीं रही थी तो वो वर्षा से पूछ पड़ी कि आखिर क्या वजह है जो सब इतने खुश थे और इतना उत्साह का माहौल है था. वर्षा को भी इसके बारे में कुछ पता नहीं था तो सोचा कि दादी से पूछेंगे. 
शाम को खाने-पीने के बाद दोनों दादी के पास कहानी सुनने बैठ गईं. वर्षा कुछ बोलती उससे पहले अंजली बोल पड़ी- दादी सारे गाँव वाले वर्षा को देवी क्यूँ मानते हैं? तो दादी कुछ देर सोच में डूब गईं. फिर कुछ जवाब ना पाकर अंजली ने दादी को दुबारा टोका तो दादी ने कहानी सुनाना शुरू किया. 
20 साल पहले की बात है. हमारा गाँव इतना सुखी और समृद्ध नहीं था. खेती पर निर्भर रहने वाले गाँव वासी खेती करना छोड़ चुके थे क्यूँकी गाँव में काफी समय से सूखा पड़ा था और पानी उपलब्ध ना होने की वजह से खेती नहीं हो सकती थी. रोज़ी-रोटी और पीने के पानी के लिए सब शहर पर निर्भर थे. सभी जवान मर्द शहर में मजदूरी और छोटे-मोटे काम करते थे. रोज शहर आना-जाना पड़ता था. शाम को लौटते समय पीने के पानी का प्रबंध करके ही आना पड़ता था. पानी आता तो खाना बनता. राशन से लेकर सब्जी तेल सभी कुछ शहर से लाना पड़ता था. मवेशियों को पालना भी मुश्किल था क्यूँकि खुद के पीने का पानी भी मुहैय्या करना मुश्किल था. तुम्हारे पिता लल्लूराम भी शहर में किसी ज़मींदार के घर लिखा-पढ़ी का काम करते थे. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई थी लेकिन कोई सरकारी नौकरी ना मिल पाने की वजह से वहाँ काम करते थे. उस समय तुम्हारी माँ, दादाजी और मैं घर पर रहते थे. तुम अभी पैदा नहीं हुई थी. तुम्हारे दादाजी बीमार रहते थे. लल्लूराम शहर से काम करके खाने-पीने के साथ-साथ तुम्हारे दादाजी की दवा भी लेकर आता था. कई दिन बीत गए ना मौसम बदला और ना ही तुम्हारे दादाजी की तबीयत. लल्लूराम ने सोचा कि अब पिताजी को शहर के किसी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाना ही पड़ेगा. उसने जमीदार से पैसों का इन्तेजाम किया और तुम्हारे दादाजी को शहर के अस्पताल में भर्ती करा दिया. इलाज शुरू हो गया. डॉक्टर ने कहा कि कुछ दिनों तक इनका इलाज चलता रहेगा. रोज चेक-अप होगा और उसी के हिसाब से दवा की खुराक दी जाएगी. पहला दिन तो निकल गया लेकिन दूसरे दिन महँगाई को लेकर कुछ नगर - वासियों ने हड़ताल रख दी. जिसकी वजह से दंगे हो गए और शहर में कर्फ्यू लग गया. अब कोई भी बाहर नहीं निकल सकता था. डॉक्टर रात को घर चले गए थे. अगले दिन घर से निकल नहीं पाए और अस्पताल में सभी का इलाज रुक गया. कर्फ्यू 5 दिन तक लगा रहा और इलाज ना हो पाने की वजह से तुम्हारे दादाजी के साथ-साथ कई और मरीज़ों का देहांत हो गया. घर में रोने-धोने का माहौल हो गया. कर्फ्यू हटने के बाद तुम्हारे दादाजी का मृत शरीर गाँव में लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया. हम कई दिनों तक इस गम में डूबे रहे. जिंदगी किसी तरह फिर से शुरू हुई और ठीक-ठाक चल ही रही थी कि हमे पता चला तुम्हारी माँ गर्भवती है. तुम्हारे दादाजी का गम भुला कर हमे खुश होने का एक मौका मिला था. समय बीता और तुम्हारे पैदा होने के दिन नज़दीक आ गए. लल्लूराम ने सोचा कि गाँव में तो प्रसव की कोई सुविधा नहीं है. तुम्हारी माँ को शहर ही ले जाना जरूरी था. लेकिन अगर फिर से पिछली बार की तरह कर्फ्यू लग गया तो 2 जानें खतरे में आ जाएंगी. लल्लूराम जोखिम नहीं उठाना चाहता था इसलिए उसने प्रसव गाँव में ही कराने का फैसला लिया. लेकिन उसके लिए इन्तेजाम जरूरी था. उसने जमीदार को सारी बात बतायी और उस से गुजारिश की कि उसे इसके लिए मदद करें. जमीदार मान गया और अपनी एक गाड़ी और जरूरत के लिए पैसे दे दिए. लल्लूराम ने उन पैसों से प्रसव के लिए जरूरी सामग्री और एक दाई का इन्तेजाम कर लिया और बाकी पैसों से ढेर सारा पानी लेकर गाँव वापस पहुँचा. अगले दिन मौसम में कुछ बदलाव नजर आया. बहुत ज़ोर की धूल भरी आँधी उठी और उसी के साथ तुम्हारी माँ को प्रसव पीड़ा भी होने लगी. आँधी इतनी तेज थी कि जिन लोगों के कच्चे घर थे उनके छप्पर उड़ गए और दीवारें ढह गईं. उधर घर के अंदर दाई ने अपना काम शुरू कर दिया था. बाहर तूफान से घबराकर लोग चीख रहे थे और अंदर तुम्हारे माँ तुम्हें जन्म देने के लिए तड़प कर चीख रही थी. लल्लूराम और मैं ना इधर जा सकते थे और ना उधर. घबराकर लल्लूराम मेरी गोद में सिर रखकर रोने लगा. गाँव मे हाहाकार मचा हुआ था. तभी अंदर से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी और आँधी धीमी हुई और वर्षा शुरू हो गई. लल्लूराम ने तुम्हारी आवाज सुनी तो खुशी से चिल्ला उठा - माँ मैं बाप बन गया. और ऐसा कहते हुए गाँव की ओर सबको बताने के लिए दौड़ पड़ा. गाँव वाले आँधी से तो त्रस्त हो चुके थे क्यूँकी काफी नुकसान पहुँचा था लेकिन कितने सालों के बाद वहाँ वर्षा हुई थी इस खुशी में सब झूम उठे. लल्लूराम की बातें सुनकर सभी को लगा कि उसके बाप बनते ही आँधी रुक गयी और इतने सालों बाद वर्षा हुई है तो जरूर इसकी पत्नी ने किसी देवता या देवी को जन्म दिया होगा. सारे गाँव वाले तुम्हें देखने के लिए घर के बाहर इकट्ठे हो गए. जब सब ने तुम्हें देखा तो बोले कि ये तो देवी है. हमारे गाँव में देवी ने जन्म लिया है. तुम्हारे जन्म के समय वर्षा हुई थी इसलिए तुम्हारा नाम वर्षा रखा गया. और सब तुम्हें देवी का अवतार मानते हैं. अब वर्षा और अंजली को समझ आया कि उस स्वागत सत्कार की असली वजह ये थी. 
उस वर्षा से गाँव के सूखे पड़े तालाब, पोखर और नहरों में पानी भर गया और गाँव का सूखा दूर हो गया. खेतों की सुखी पड़ी ज़मीन को खूब पानी मिल गया और पथरा गई मिट्टी मुलायम हो गई थी. अब सब ने सोचा कि शायद अब हमारी जमीन खेती करने लायक हो जाएगी. लल्लूराम गाँव में पढ़े-लिखे लोगों में से था. उसने गाँव वालों को समझाया कि अब हम खेती करेंगे और खेती के लिए जिस चीज को जरूरत होगी उसका इन्तेजाम करने में मैं सबकी मदद करूंगा. उसने शहर से उम्दा किस्म के बीज का प्रबंध किया. खेत तैयार करने के लिए ट्रैक्टर का इन्तेजाम किया गया जिसके लिए सारे गाँव ने पैसे जुटाए. खेती शुरू हो गई और फसल बहुत अच्छी हुई. पहली फसल का एक छोटा-सा हिस्सा सबसे पहले भगवान को चढ़ाया जाता है लेकिन गाँव वालों की नजर में तो वर्षा ही उनकी देवी थी तो सबने वर्षा के नाम पर ढेर सारा अनाज लल्लूराम के घर पहुँचा दिया. लल्लूराम उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता था इसलिए उसने गाँव वालों को मना नहीं किया. उसने अनाज स्वीकार कर लिया. गाँव में काफी समय के बाद बेहतर अनाज पैदा होने की वजह से बहुत खुशी का माहौल था. लल्लूराम ने उन्हें सुझाव दिया कि हमारे साल भर की जरूरत का अनाज भंडार घर में रख कर जो अनाज बच जाता है उसे हम बाजार में बेंच देंगे उससे जो पैसे आयेंगे उसका इस्तेमाल हम गाँव के विकास में करेंगे. हमारा गाँव बहुत पिछड़ा रह गया है हमे खुद ही इसके लिए कदम उठाना पड़ेगा. गाँव वालों को लल्लूराम की बात पसंद आयी सबने ऐसा ही किया. फिर इससे आए हुए पैसों से गाँव में पीने के पानी से लेकर अस्पताल और विद्यालय खोले गए और डॉक्टरों और शिक्षकों को सेवा के लिए तनख्वाह पर कार्यरत किया गया. धीरे - धीरे गाँव में स्वास्थ्य और शिक्षा का स्तर सुधारने लगा तो गाँव सुखी हो गया. और आज हमारा गाँव बंजर से इतना सुंदर बन गया.
ये कहानी सुनकर अंजली और वर्षा सोने चली गईं. लेकिन अंजली के मन में अभी भी वर्षा जैसी दिखने वाली लड़की घूम रही थी. अंजली ने वर्षा से पूछा तो वर्षा ने बोला इसका जवाब कहाँ से मिलेगा ये तो मुझे पता नहीं लेकिन शायद दादी कुछ बता सकें. अगले दिन दोनों फिर से दादी के पास जा बैठीं ये प्रश्न लेकर. 
अंजली ने दादी से बताया कि इम्तेहान से पहले बाजार में उनसे एक लड़की टकराई थी वो हूबहू वर्षा जैसी दिखती थी. दादी ऐसा कैसे हो सकता है? वो वर्षा जैसी कैसे दिख सकती है? दादी कुछ ना बोली. अब दोनों को कुछ शक-सा हुआ. दादी को कई बार पूछने पर दादी रोने लगी. दादी के रोने का कारण जानने के लिए अंजली और वर्षा ने बहुत प्रयास किया और दादी को मना लिया तब दादी ने अपना मुँह खोला और बतायी- जिस दिन तुम पैदा हुई थी तुम अकेली नहीं पैदा हुई थी. तुम दो जुड़वा बहनें थी. तुम्हारे रोने की आवाज से खुश होकर तुम्हारे पिता पूरे गाँव में खुशखबरी देने दौड़ पड़े थे. मैं अंदर गई तो देखी की वहाँ तुम और तुम्हारी जुड़वा बहन दोनों थीं. तुम तो रो रही थी लेकिन तुम्हारी बहन आंखें नहीं खोल रही थी. दाई ने कहा शायद ये बच्ची मरी हुई पैदा हुई है. तुम दोनों को जन्म देने के बाद तुम्हारी माँ बेहोश हो गई थी. उसे भी नहीं पता था कि उसने दो बच्चों को जन्म दिया है. किसी को पता चलने से पहले ही मैंने दाई को कहा कि इस बच्ची को ले जाकर कहीं दफना देना. दाई तुम्हारी बहन को लेकर चली गई. उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ पता नहीं. 
ये सब सुनकर दोनों को इतना तो पता चल ही गया था कि वो दूसरी लड़की जो बाजार में मिली थी वो वर्षा की बहन थी. अब दोनों ने उसे खोजने का निर्णय लिया. अगले ही दिन दादी से आशीर्वाद लेकर दोनों शहर चली गई. उस लड़की को खोजने में दोनों से जो बन पड़ा वो सब किया लेकिन खोज ना पायीं. हार कर हॉस्टल की ओर लौट रहीं थीं कि तभी उन्हें सामने एक एक्सीडेंट दिखा. दोनों भाग कर मदद करने पहुँची. वो एक वृद्ध महिला थीं जिनको एक कार ने जोर से टक्कर मार दिया था. उनकी हालत बहुत गंभीर लग रही थी. वर्षा जब उन्हें गोद में उठा रही थी तो वो वर्षा को देखते हुए बोली- रितु तू आ गई बेटा . वर्षा ने सोचा ये मुझे रितु क्यूँ बोल रही हैं? दोनों उन्हें अस्पताल ले गईं. अस्पताल में उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया और उनका इलाज चलने लगा. कुछ घंटों के बाद एक लड़की उस महिला को खोजते हुए उस अस्पताल पहुंची. वो लड़की कोई और नहीं वर्षा की जुड़वा बहन ही थी. उसने वर्षा को देखा तो देखती ही रह गई. फिर कुछ पूछे बिना डॉक्टर से बोली मुझे मेरी माँ से मिलना है डॉक्टर ने बताया कि उनकी हालत बहुत खराब है और उनके पास ज्यादा समय नहीं है. उन्हें अन्दर से काफी गहरी चोटें आयी हैं और खून भी काफी बह गया है. उनका बच पाना बहुत मुश्किल है. ये सब सुनकर वो बहुत रोने लगी और भागते हुए आईसीयू में पहुंची. उसके पीछे वर्षा और अंजली भी अंदर गईं. वर्षा और रितु को एकसाथ देख कर वो महिला बोली - रितु ये तुम्हारी जुड़वा बहन है. तुम्हारे पैदा होने पर तुम हिल-डुल नहीं रही थी तो हमे लगा तुम मरी हुई पैदा हुई हो और तुम्हारी दादी ने तुम्हें दफनाने के लिए मुझे सौंप कर भेज दिया था लेकिन रास्ते में तुम्हें होश आ गया और तुम रोने लगी. मेरे कोई बच्चे नहीं थे तो मैंने तुम्हें अपनी बेटी की तरह पाला लेकिन अच्छी परवरिश नहीं दे पायी. अब मेरे पास ज्यादा समय नहीं है. किसी भी घड़ी मैं ये दुनिया छोड़ कर चली जाऊँगी. तुम अपनी बहन के साथ अपने घर लौट जाना. और सबसे मेरी तरफ से माफ़ी मांग लेना. इतना कहते हुए उस महिला ने दम तोड़ दिया. रितु वर्षा को पकड़ कर रोने लगी. उसका अंतिम संस्कार करवा कर वर्षा और रितु घर पहुंची और सारी कहानी परिवार को सुनाई. गाँव में फिर से खुशी का माहौल हो गया. ऐसा लग रहा था मानो वर्षा ने दुबारा जन्म लिया हो. दोनों बहनों के साथ होने पर वर्षा - रितु की शुरुआत हुई और पहली हल्की बारिश ने माहौल को खूबसूरत बना दिया.

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Vikas Yadav 'UTSAH'
Vikas Yadav 'UTSAH' 🙏🌟🌟🌟🌟🌟

7 months ago

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