Archana Singh 19 May 2023 कहानियाँ समाजिक 🌼🌼🌼 अतिथि सत्कार 🌼🌼🌼 30578 0 Hindi :: हिंदी
नमस्ते दोस्तों 🙏🙏 दोस्तों ! हमारे देश भारत में अतिथि सत्कार का बहुत महत्व है । हमारी सभ्यता और संस्कृति ही हमें अतिथियों का सम्मान करना सिखाती है। हम अतिथि को अपना भगवान समझते हैं तभी तो कहते हैं ..." अतिथि देवो भव: " ! अगर कोई याचक हमारे घर आ जाता है तो हम उसका मान - सम्मान , इज्जत अपनी परिस्थितियों से ऊपर होकर भी करते हैं और यही हमारी सभ्यता हमें सिखाती भी है । दोस्तों ! ऐसा नहीं है कि हम इंसानों में ही सिर्फ अतिथियों का सत्कार करने की संस्कार होती है ,,,,, ये तो भारत जैसे महान देश के कण - कण में है , यहां की हवाओं में , यहां की फिजाओं में कूट-कूट कर भरी हुई है । इसी को सत्यापित करते हुए मैं एक पक्षी की कहानी सुनाती हूं , जिसने अतिथियों के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया ,,,,, जो हमारे लिए प्रेरणादायक है ,,,,, जो हमें सिखाती है कि हम इंसान ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी अपने देश का मान - सम्मान गौरव रखते हैं । तो आइए एक कहानी सुनाती हूं ...... संध्या का समय था । सूर्य अपनी आंखें मुंद चूकी थी और तारे धीरे-धीरे आसमान पर अपने अस्तित्व को बिखेर रहे थे । तभी तीन राही एक घने जंगल से गुजर रहे थे ।अंधेरा होने के कारण उन्हें कुछ नजर नहीं आ रहा था , तो उन्होंने सलाह करके एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का निश्चय किया । उसी पेड़ की डाली पर एक चिड़ा , एक चिड़िया और उनके तीन बच्चे रहते थे । उस चिड़े ने जब पेड़ के नीचे इन तीनों को देखा तो उसने अपनी चिड़िया से कहा : " देखो ! हमारे यहां ये लोग अतिथि रूप में आए हैं । जाड़े का मौसम है हम लोगों को इनके लिए कुछ करना चाहिए । चिड़िया बोली :" पर हमारे पास आग तो है नहीं ,,,, तो हम इनकी मदद कैसे करें "....? ये सुनकर चिड़ा वहां से उड़ गया ----- और एक जलती हुई लकड़ी का टुकड़ा अपनी चोंच में दबाकर लाया और उसे अतिथियों के सामने गिरा दिया । उन तीनों ने उसमें लकड़ी लगाकर आग जलाई और ठंडे से उन्हें राहत मिली । परंतु चिड़े को फिर भी संतोष ना हुआ ,,,, उसने चिड़िया से कहा :" बताओ ! अब हमें क्या करना चाहिए ,,,,, क्योंकि ये लोग तो भूखे हैं और हमारे पास इन्हें खिलाने के लिए कुछ भी नहीं है । हम लोग गृहस्थ हैं और हमारा धर्म है कि जो कोई हमारे घर आए , उसे हम भोजन कराएं , जो कुछ मेरी शक्ति में है मुझे अवश्य करना चाहिए ..... अतः मैं उन्हें अपना यह शरीर ही दूंगा ....! ऐसा कह कर वह आग में कूद पड़ा और भून गया । अतिथियों ने उसे आग में गिरता देखा तो उसे बचाने का प्रयत्न किया , परंतु वह बच ना सका । उसकी चिड़िया ने भी अपने मन में कहा :" यह तीन लोग हैं , उनके भोजन के लिए केवल एक ही चिड़िया पर्याप्त नहीं है " ! ऐसा सोच कर वह भी आग में खुद गई और भून गई । इसके बाद जब उनके तीन छोटे बच्चों ने यह देखा कि अतिथियों के लिए इतना भोजन प्राप्त ना होगा ,,,,, तो अब हमारा भी धर्म है कि हम अपने माता-पिता के कार्य को पूरा करें और यह सोचकर वह भी आग में कूद पड़े । यह सब देखकर पेड़ के नीचे बैठे तीनों अतिथी आश्चर्यचकित हो गए ,,,,,, उन चिड़ियों को वह कैसे खा सकते थे , अतः उस जगह उन्होंने सुबह होते ही उन चिड़ा , चिड़िया और उनके बच्चों के नाम का एक छोटा सा पौधा लगा दिया उनकी स्मृति के रूप में । अतः चिड़िया ने अपने धर्म का निर्वाह किया और अतिथि के लिए खुद का सर्वस्व न्यौछावर कर दिया । मुझे आशा है आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी । धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐