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काटो में भी राह बनाऊं

Jyoti yadav 24 May 2023 कविताएँ देश-प्रेम #कांटों में भी राह बनाऊं# 7493 0 Hindi :: हिंदी

चाह नहीं मेरी
 मैं राज महलों को पाऊं

चाह नहीं मेरी 
मैं फूलों से बन जाऊं

चाहा है मेरी 
मैं कांटो में भी राह बनाऊं


चलकर इस पर ््
मुसीबतों की दरिया पार कर जाऊं

वीरो की इस दुनिया में
 वीर मै भी बन जाऊं

गगन में शांति का तिरंगा लहरा
 आशा है अब यही हमारी
 बने हम वतन की शान 
आसमां भी करें भारत मां का गुणगान

ज्योति पर भारत की ज्योत में जगाऊं
 रूठी हुई मां को फिर से मनाऊं
 उन्मुक्त गगन में आजादी का यह तिरंगा फिर लहराऊ

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