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कल का सूरज शायद ना देख सकें

Ranjana sharma 05 Mar 2024 कविताएँ दुःखद कल का सूरज शायद ना देख सकें# Google# 5356 0 Hindi :: हिंदी

जिंदगी का क्या ही भरोसा है
आज है कल शायद सुबह का 
सूरज हम ना देख सकें
ये भी कहां हमें पता है 

फिर भी लोग अपने ह्रदय में
इतनी नफरत पाल कर रखते हैं 
कि आज अपना ही अपना नहीं लगता है

पहले पड़ोसी भी अपना बन जाते थें
आज तो हर रिश्ता ही झूठा है

लोग पहले मदद दिल से करते थें
आज हर मदद के पीछे कोई लालच होता है

जमाना हुआ वैसी मोहब्बत देखे हुए
जब एक महबूब अपनी मोहब्बत के लिए
हर चीज कुर्बान कर देता था
आज तो मोहब्बत भी एक व्यवसाय
का जरिया होता है

लोग इश्क तो करते हैं पर आजकल
 निभाना कोई नहीं जानता है
जिसपे भरोसा करो अंत में
वही धोखा देता है
               
दिल एक खिलौना बन चुका है
कब कौन इसे तोड़ कर चला जाए
पता नहीं चलता है
              धन्यवाद🙏

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