रंग बिरंगी फुलझडियो से दीपावली मनाते थे,
खूब मिठाई बॅटती थी इसकी पहचान पटाखे थे,
कोरोना और प्रदूषण ने मान हमारा भंग किया
अब तो चैन मिलेगा हमको इसकी उचित सजा देके ॥
दिल्ली मुंबई चेन्नई क्या ,है संकट समस्त विश्व पर ,
यह प्रतिबंध पटाखों पर नहीं, है प्रदूषण पर
कोरोना पर ,
भारत बने ध्वजा धारी श्रेष्ठ विचारक कहलाए,
प्रदूषण हो धराशाई और कोरोना कॉपे थरथर ॥
देश प्रेम पर सब न्योछावर ,प्रदूषण रहित त्योहार मनाए,
वेव दूसरी अब ना आए त्यागी बनकर बांध लगाए,
संकल्प यही ले मानव जाति रहे सुरक्षित युगों युगों ,
कोरोना और प्रदूषण दोनों पर प्रतिबंध लगाए ॥
ना कुछ बांटे ना मिले गले , दूरी सही बनाकर रक्खे,
एक पटाखा भी ना छोड़े घर को खूब सजाकर रक्खे,
भयभीत न हों विषम घड़ी है कदम सोचकर धरना होगा,
हर एक जान कीमती है हर एक जान बचा कर रक्खें ॥