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नजर भी आए

Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #नजरभीआए 35143 0 Hindi :: हिंदी

अपनी आँखों से गर देखो !
तो कुछ नजर भी आए !!
पड़े पर्दे गर हटाओ !
तो कुछ नजर भी आए !!

तीरगी काजल जो लगाया !
मेरे दुश्मनो ने तेरी आँखों में !!
गर ढंग से पोंछ लो !
तो कुछ नजर भी आए !! 

सत्य हमेशा ढाप दिया !
गर्दा ए चापलूसी डाल दिया !! 
चमचो के चम्मच छोड़ो !
तो कुछ स्वाद भी आए !! 

चापलूसी की चासनी !
जुबां पे इसका स्वाद !!
चमचा ए रोग लगा !
कैसे बनेगी बात !!
सत्य की चख लो कटुक निबौरी !
तो यह रोग भी जाए !! 

सुनो सबकी करो अपनी !
गर छान लो हर बात !!
सुन सको मन की बात !
तो कुछ समझ भी आए !! 

जुबां दूसरो की !
अब तक बोलते आए !! 
गर बोलो अपने बोल ! 
तो कुछ मिठास भी आए !! 

जमाने में दोष ढूँढने वालो !
नजर खुद पर भी तुम डालो !! 
रख लो आइना अपने पास ! 
तो कुछ तस्वीर भी साफ हो जाए !!

अपनी भूले तुम चाल ! 
अब तक चले दूसरो की चाल !! 
गर चलो अपनी चाल ! 
तो कुछ लचक भी आए !! 

अपनी आँखो से गर देखो !
तो कुछ नजर भी आए हैं !!

      विपिन बंसल

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