Sanam kumari Shivani 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 10908 0 Hindi :: हिंदी
अब न गहरी नींद में सो सकोगे तुम गीत गाकर जगाने आ रही हूं अंदर अस्तचल में तुम्हें जाने ना दूंगी अरुण उदयचल सजाने आ रही हूं कल्पना में आज तक सिहरते रहे तुम अब तुम्हे आकाश में उड़ते न दूंगी आज धरती पर बसाने आ रही हूं जब तुम ना रहोगे धरती पर सुना रहेगा जग सारा कहीं धूप सी झील मिल छाया कहीं गड्ढों की खाई अब में धरती पर अपनी अस्तित्व को बसाने आ रही हूं। अब न गहरी नींद में सो सकोगे तुम गीत गाकर जगाने आ रही हूं।