Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मनुष्य के चेहरे-मनुष्य के खेल निराले हैं हर पल बदलते चेहरे के अपने कुछ अंदाज निराले हैं

Poonam Mishra 23 Aug 2023 गीत समाजिक इंसान के चेहरे बदलते हैं 7014 0 Hindi :: हिंदी

मनुष्य के खेल निराले हैं 
हर पल बदलते चेहरे के अपने कुछ अंदाज निराले हैं 
वर्षों से यह धरती न बदली,
 यह अंबर न बदला
 पर हर पल बदलते चेहरे के
 अंदाज निराले हैं 
फूलों के सुगंध न बदले 
पक्षियों की चहचहाहट ना बदली,
 सूरज की लालिमा न बदली ,
चंदा की शीतलता न बदली,
 लेकिन हर पल मनुष्य के
अरमान यहां बदलते रहते हैं 
गांव ना बदला ,गांव की सड़क 
ना बदली 
खेत की हरियाली न बदली 
परंतु हर युग में इंसान के 
चेहरे समाज ,और स्वभाव 
बदलते रहते हैं


स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

ये खुदा बता तूने क्या सितम कर दिया मेरे दिल को तूने किसी के बस मैं कर दिया वो रहा तो नहीं एक पल भी आकर टुकडें- टुकड़ें कर दिये ना विश्वा read more >>
Join Us: