Poonam Mishra 23 Aug 2023 गीत समाजिक इंसान के चेहरे बदलते हैं 7014 0 Hindi :: हिंदी
मनुष्य के खेल निराले हैं हर पल बदलते चेहरे के अपने कुछ अंदाज निराले हैं वर्षों से यह धरती न बदली, यह अंबर न बदला पर हर पल बदलते चेहरे के अंदाज निराले हैं फूलों के सुगंध न बदले पक्षियों की चहचहाहट ना बदली, सूरज की लालिमा न बदली , चंदा की शीतलता न बदली, लेकिन हर पल मनुष्य के अरमान यहां बदलते रहते हैं गांव ना बदला ,गांव की सड़क ना बदली खेत की हरियाली न बदली परंतु हर युग में इंसान के चेहरे समाज ,और स्वभाव बदलते रहते हैं स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा