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संघर्षित हिन्दी को कोटी नमन

Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 गीत देश-प्रेम This poem is a great Salute of our mother language Hindi who is a very great struggle of freedom India and this is even do struggle for Nationality. And it is a Great epic language so that I have been given respect of their. I hope my all reader like this as before Jai Hind. 28714 0 Hindi :: हिंदी

हिन्दुत्व धरा का ताज़ है हिन्दी, 
जीसपे कंवलीत ये सम्पुर्ण धरा! 
लाखों लय,छन्द और ताल है विकसित, 
नाज़ करे ये हिन्दुस्तां!! 
                     यें है वसुधा कि अचल कसौटी, 
                    अविचल-निश्छल अरमानों कि! 
                     वर्षों - सदियों से करी अभिनंदन, 
                     नुतन - नुतन अफ़सानों कि!! 
साहित्य जगत कि अमर कुंज़, 
ईस हिन्दी का सम्मान करें! 
भरें पड़े प्रमार्थ धन, 
कि अमर शुधा इस हिन्दी में!! 
                      हिन्दी ने लाखों रंग भरें, 
                      जगमगा रहा अलंकारों से! 
                      कर रहा नमन साहित्य भारत को, 
                      कोटी - कोटी साहित्य धारों से!! 
हिन्दी हैं माथे का तारा, 
जो चमकता रहा भारत के शीरें! 
कभी बनी ऋणी न गुलामी में, 
लाखों कोड़े चाहे पड़ें भलें!! 
                     शुज्ला , सफ्ला कि दिव्य प्रमार्थ, 
                     सृजना ना कभी विश्राम किया! 
                     जो भयी मन्द ये गुलामी में, 
                     संतों ने दामन थाम लिया!! 
कवियों कि कल्पना भरी अचल, 
चंचल निश्छल इस हिन्दी मे! 
जो जगती का बढ़ाऐ गौरव - बल, 
है नाज़ अचल ईस हिन्दी मे!!
                      गंगा देती जीवन वसुधा को, 
                      हिमाल्य रक्क्षा का भार धरें, 
                     रत्नेश धो रहें चरण भारत कि, 
                     हिन्दी पे साज़ - श्रृगांर करें!! 
श्रृंगार रसों का प्रम नमन, 
हिन्दी से खिली हिन्दुस्तान कि जय! 
है कोटी नमन उन वीरों को, 
जीसने हिन्दी को करी विजय!! 
                      भारत कि धरा हर दिल मे बसी, 
                      जो मेरा नहीं हमारा हैं! 
                      हिन्दुस्तान को देता कोटी नमन, 
                      ये हिन्द जगत का प्यारा है!! 
है अचल मेखला का ये धनी, 
श्रृंगार, वीर रस खानों से! 
है अमर भये रस भर - भर कर, 
साहित्य हैं हिन्दुस्तानों में!! 
                      हिन्दी का लगता महा पुज्य, 
                      वर्ष मे हिन्दी ताज़ धरें! 
                      नुतन शुलोक अधुनातन कर्म, 
                      हिन्दी हिन्दुस्तान के पन्नों पे!! 
करता हुं नमन इस हिन्दी को, 
श्रृंगार रसो के वादन से! 
हिन्दुस्तान को देता प्रम भेंट, 
साहित्य धार अभिभावन से!! 
                      है अमर रहें ये हिन्द धरा, 
                      संघर्ष कि हिन्दी अमर रहें!! 
                      भगत, शुभाश, कवियों का त्याग, 
                      विफल ना कभी सदा अमर रहें!! 
सदियों के अचल संघर्षों के बाद, 
हिन्दी ने अध्म सू:ख: धारा हैं! 
ये हिन्दी वसुधा का विवेक, 
ये हिन्द देश का तारा हैं!! 
                    इस अविचल और चंचल वसुधा में, 
                    हिन्दी ने कोटी रंग भरा! 
                    हिन्दुत्व धरा का ताज़ है हिन्दी, 
                    जिसपे कंवलीत ये सम्पुर्ण धरा!! 
हिन्दी को नमन कर रहा कलम, 
है र्निमल कुसमीत ज्ञान गारों से! 
है दिव्य धरा को जोड़ रखीं, 
हिन्दी साहित्य फंकारों से!! 
              लाखों अनुवादें हूई धरा पर, 
              हिन्दी साहित्य रस मोह लिया! 
              कभी पद्ध, गद्ध कि कंवलीत भारत को, 
              सूर - संगीत ने अमर किया!! 
जय लगा रहे वशुधा के कण, 
कण - कण जिसकी सु:खकारी हैं! 
है अमर धरा कि प्रम भेंट, 
हिन्दी ज़गती  को प्यारी हैं!! 
                         अमर धरा का दिव्य निवेदन, 
                         करता मैं नमन इस भारत को! 
                         हिन्दी कि रचीत संगीत ये मेरी, 
                         सम्पूर्ण सम्प्रित भारत को!! 
करती है ज़गत का पथ भ्रमण, 
जिसने भारत मे प्रेम भरा! 
लाखों, लय, छन्द और ताल हैं विकसित, 
नाज़ करें ये हिन्दुस्तां!! 

संगितकार   :- अमित कुमार प्रशाद

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