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श्री हनुमान जयंती

Uma mittal 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक श्री हनुमान भगवान जी 27739 0 Hindi :: हिंदी

आज है श्री हनुमान दिवस |
कितना है खुशहाल दिवस || 
नाचे गाए खुशी मनाएं |
पवन पुत्र का जन्मदिन मनाएं ||
   श्री हनुमान भगवान जी तो साक्षात भगवान शिव जी के रूद्र अवतार हैं | श्री हनुमान भगवान श्री राम  भगवान जी के भक्त हैं | श्री हनुमान भगवान जी के पिता राजा केसरी और माता का नाम अंजनी ( अंजना) है | उनके माता-पिता उन्हें बहुत प्यार करते थे | श्री हनुमान भगवान जी का जन्म श्री राम भगवान जी की सेवा के लिए ही हुआ था | श्री हनुमान भगवान का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था | कहीं-कहीं श्री हनुमान जयंती छोटी दीपावली  अर्थात दिवाली से 1 दिन पहले भी  मनाई जाती है| हनुमान भगवान जी के गुरु श्री सूर्य देव हैं |जब श्री हनुमान जी ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाने की विनती की ,तब सूर्यदेव ने कहा कि " मैं तो एक पल भी रुक नहीं सकता क्योंकि मेरा कार्य तो बिना अपने गति को कम करें पूरी पृथ्वी को प्रकाश देना है |अतः मैं तुम्हें शिक्षा कैसे दे सकता हूं "? तब श्री हनुमान भगवान जी ने सूर्य देव से कहा कि" मैं बिना रुके ,आप के रथ के साथ- साथ चलते चलते ही आपसे शिक्षा ग्रहण कर लूंगा "|  सूर्य देव उनके साहस और शिक्षा लेने की लगन देखकर बहुत प्रसन्न हुए और इस प्रकार भगवान हनुमान जी ने सूर्य देव से  सभी ज्ञान चलते -चलते ही ग्रहण किया | जब हनुमान भगवान जी माता सीता जी का पता लगाने समुंदर को  पार करके जाते हैं  |वहां उन्हें बहुत सी बाधाओं का सामना करना पड़ा जैसे सुरसा ,सिंहिका ,लंकिनी| उन्होंने हर बाधा को अपनी वीरता विवेक ,बुद्धिमानी ,विनम्रता ,समय का पाबंद ,लग्न, स्वामी भक्ति, उत्साह अपने गुणों से सफल किया |  यहां तक कि समुंदर पार करते समय मैनाक पर्वत ने श्री हनुमान जी को उस पर विश्राम करने के लिए प्रार्थना की | तब श्री हनुमान भगवान जी ने श्री राम भगवान के काम में देरी ना हो जाए ,इसलिए पर्वत का मान रखते हुए एक पल के लिए अपना पांव रखकर आगे बढ़ गए | जब हनुमान जी अशोक वाटिका में पहुंचे ,उन्होंने सीता माता का पता लगा लिया |उन्होंने वहां न केवल सीता माता को "माता "संबोधन देते हुए, श्री राम भगवान जी की अंगूठी दिखाकर रामदूत होने का सबूत दिया बल्कि उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार श्री राम जी उन्हें याद करते हैं और जल्दी लंका पर विजय प्राप्त करके उन्हें ले जाएंगे | इससे सीता माता को काफी राहत हुई| रावण को श्री राम भगवान की शक्ति से अवगत कराने के लिए उन्होंने जानबूझकर अशोक वाटिका में लगे वृक्षों को उखाड़कर वाटिका नष्ट कर दी |जब वाटिका के रक्षकों ने  उन्हें चोर की उपाधि दी तो उन्होंने (हनुमान जी) ने बड़ी समझदारी से उत्तर दिया कि "यहां का तो राजा रावण ही चोर है, जो कि माता सीता को चोरी से यहां ले आया है , अगर मैंने यहां चोरी से कोई फल लिया है, तो मैंने सोचा कि यहां तो मुझे चोरी के लिए पारितोषिक( इनाम) मिलना चाहिए "| जिस पर सभी निरुत्तर हो गए | इससे उनके व्यंग बाण चलाने के कौशल का भी पता चलता है | वहां पूरी अशोक वाटिका नष्ट करना, अक्षय कुमार को मारना , लंका दहन करना ,सकुशल लौट कर श्री राम भगवान को सीता माता के बारे में बताना ,उनके महान गुणों  को दर्शाता है | युद्ध में जब श्री लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे तब एक प्रसंग है कि भगवान हनुमान जी  सुषेण वैद्य जो कि रावण का राज वैद्य था  , उन्हें पूरे घर के साथ ही उठा कर ले आए थे | यहां यह देखने वाली बात है कि अगर भगवान जी केवल वैद्य को लेकर आते, तो हो सकता है कि वैद्य को किसी रोगी को ठीक करने वाले उपकरण  वैद्य के घर ही रह जाते | यहां भी उन्होंने अपनी समझदारी दिखाई और जब वैद्य ने हिमालय पर्वत में संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा तो रावण ने बूटी की पहचान ना हो पाए, इसके लिए जो चाल चली वह भी भगवान हनुमान जी ने पूरा पर्वत ही उठाकर लाने से उसकी यह चाल भी असफल कर दी और सबसे बड़ी बात यह है कि हनुमान भगवान जी ने फिर से समय सीमा के भीतर ही  कार्य बड़ी कुशलता से कर डाला | हनुमान भगवान जी आज भी धरती पर हैं | उन्हें चिरंजीवी का आशीर्वाद प्राप्त है और उनके गुणों का जितना भी वर्णन किया जाए कम है | यहां कोई संदेह नहीं है कि भगवान अपनी वीरता के साथ-साथ बुद्धि, समझदारी ,विनम्रता भी दिखाते रहे |सेवाभाव ,तुरंत निर्णय लेने की क्षमता रखने वाले, शक्ति का उचित इस्तेमाल करने वाले, बेहतरीन संवाद कौशल में निपुण ,अष्ट सिद्धियों तथा नव निधियों के स्वामी ,नेतृत्व क्षमता रखने वाले श्री पवन पुत्र हनुमान जी को कौन नहीं जानता | जिस प्रकार अगर आकाश के तारों को गिना जाए तो असंभव है, उसी प्रकार हनुमान भगवान जी की अनगिनत प्रशंसा इतनी है कि मानो सूरज को दिया दिखाना | सच तो यह है कि श्री हनुमान जी की महिमा को वैज्ञानिक भी मान चुके हैं | आज भी श्रीलंका की मिट्टी जहां हनुमान जी ने आग लगाई थी , काली हो गई है |उनका परिचय 10 विद्याओं का ज्ञाता दशानन अर्थात रावण भी नहीं जान पाया कि हनुमान जी भगवान शिव का अवतार है क्योंकि रावण ने बहुत तप करके भगवान शिव से वरदान पाया था कि उसकी मुक्ति भगवान शिव द्वारा ही हो |
हनुमान भगवान का जन्म ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम भगवान के सेवक के रूप में हुआ था और उन्होंने अपनी पूरी भक्ति ,शक्ति और निष्ठा श्री राम भगवान के लिए निभाई |
जो भी श्रद्धालु भक्ति भाव से श्री हनुमान भगवान की पूजा ,आराधना करते हैं ,वे समस्त संकटों से छुटकारा प्राप्त करके सभी ऐश्वर्य ,सुख संपदाओं के स्वामी हो जाते हैं |
“सागर में इतना पानी गागर में भरा ना जाए” |
” हनुमान भगवान के इतने वर्णन कागज पर लिखा ना जाए” ||
जय श्री राम ! 	
उमा मित्तल ,राजपुरा टाउन(पंजाब)

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