Bholenath sharma 07 Jan 2024 कविताएँ समाजिक छात्रा अवस्था 4847 0 Hindi :: हिंदी
कुछ बरस तक कुछ समय तक हम साथ थे । बटँ गये राह क्योंकि सबके मंजिल अलग - अलग थे। जो आसपास के थे वो मिल ते थे मीत जो बिछड़ गये फिर भी संजोयी है उनकी प्रीति कभी मिलेंगे वे सच्चे मीत होगी हंसी ठिठोली ओर बढ़ेगी प्रीति होंगे सारे जब एक जुट मेरे मीत अब वो दिन जल्द ही आएगा मेरे मीत ।