Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य इतिहास गवाह 13866 0 Hindi :: हिंदी
पत्थर को भगबान हो मानते. बोझ हो गए माँ बाप गिरगिट जैसे रंग हो बदलते ये कैसा बिस्तार रिश्ते नाते खूब निभाते नारी पे करता अत्याचार . घर के भेदी लंका ढाये है इतिहास गवाह पत्थर तरास मूर्त बनता तू खुद पत्थर इंसान समाज से धोखा देश से धोखा फिर भि तू ईमानदार