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तुम लौटकर आना-जब शाम होने लगे

कुमार किशन कीर्ति 09 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत शाम,यादों का सागर। 15096 0 Hindi :: हिंदी

जब शाम होने लगे,
पंछियां घोसलें में लौटने लगे।
जब सूरज ढ़लने लगे,
तब प्रियतमा तुम लौटकर आना।
जब मेरी बेताबी बढ़ जाए,
तुम्हारी यादों का सागर उमड़ जाए।
चाँद भी गगन में निकल आए,
तब प्रियतमा तुम लौटकर आना।
जब चारों तरफ सन्नाटा हो,
दूर-दूर तक कोई ना आता हो।
केवल,मैं और मैं ही रहूँ जहाँ,
प्रियतमा तुम लौटकर आना वहाँ।
जब लगे की कोई तुम्हें याद करता है,
बाती की भांति प्रेम अगन में जलता है।
जब तुम भी मेरे प्रेम में जलने लगना,
तब प्रियतमा तुम लौटकर आना।

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