Pagal Sunderpuria 30 Mar 2023 आलेख समाजिक शायारी, पागल सुन्दरपुरीया, pagal Sunderpuria, sad shayri, मातृ दिवस, Mother's day, 41094 0 Hindi :: हिंदी
आज के दिन को हम मातृ दिवस के रूप में मनाते है ताकि हमें जन्म देने वाली माता को सम्मान दे सकें, हर कोई अपनी माता से प्यार करता है हमारी संस्कृति ही ऐसी की हम सुबह उठते या काम पर जाते अपने माता पिता के पैर छूते हैं तो हमारे लिए तो रोज मातृ दिवस होता है। मातृ दिवस को क्यूं मनाया जाता है।(अंत तक पड़ना क्यूंकि अंत में मैं अपना तर्क भी बताऊंगा) एक विचारधारा दावा करती रही है कि मातृ पूजा का रिवाज़ पुराने ग्रीस से उत्पन्न हुआ है जो स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में ही मातृ दिवस मनाया जाता है। जबकि मदर्स डे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था, 1908 में मनाया गया जब एना जार्विस नाम की एक महिला ने अपनी माँ एन रीज़ जार्विस को सम्मानित करने के लिए एक मान्यता प्राप्त अवकाश के रूप में मदर्स डे मनाने की कामना की, जो एक शांति कार्यकर्ता थी और तीन साल पहले उनका निधन हो गया था। एना ने वेस्ट वर्जीनिया में सेंट एंड्रयूज मेथोडिस्ट चर्च में अपनी मां के लिए एक स्मारक बनाया था जो अब अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस तीर्थ है। भारत में मदर्स डे मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, यह दुनिया भर के अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है। ब्रिटेन में मदर चर्च को क्रिश्चियन मदरिंग संडे को सम्मान के लिए मार्च के चौथे रविवार को मनाया जाता है। ग्रीक लोग के लोग इसे फरवरी में मनाते हैं। आज तक इस दिन को विश्व में कभी भी एक समान दिन में नहीं मनाया गया। मेरा मानना है कि यहां तक सनातन संस्कृति में वर्षों पहले से माता पिता का सम्मान किया जाता रहा है व इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार भी माँ के पैरों में जन्नत यानी माता पिता का सम्मान वर्षों से किया जा रहा है इसलिए हम आज भी माता पिता के रोज पैर छूते हैं आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, लेकिन जो पश्चिमी सभ्यता हमारी दोनों बड़ी संस्कृतियों से विपरीत रही थी (हमारी बदकिस्मत है कि आज हम पश्चिम सभ्यता को अपनाने लगे हैं) जैसे कि भूतकाल में हमारी दोनों संस्कृतियों में अगर हमारे पूर्वज पुरुष कितनी भी शादियां कर लेते थे उनकी पत्नियां अपने पति/शौहर को छोड़कर कहीं नहीं जाती थी उनके बच्चे उनके पास रहते थे इसलिए वो अपनी मां के रोज पैर छूकर सम्मान देते थे। दूसरी और पश्चिम साभ्यता के पूर्वज पुरुष कोई शादी कर लेते थे तो उनकी पत्नियां उन्हें छोड़कर दूसरे पुरुष के साथ रहने लगती थी अगर पत्नी किसी गैर मर्द से संबंध बनाती तो उसका पति भी ऐसा करता था, इस सभ्यता के बच्चों को ये नहीं पता होता था कि उनके वास्तविक माता पिता कौन है। इसलिए पश्चिम सभ्यता के बच्चों को एक खास दिन कि जरूरत थी कि वो अपनी मां या पिता को सम्मान दे सकें। इसलिए आपसे कहता हूं कि आप अपने माता पिता को एक दिन में समेटकर ना रखो। जिन्होंने आपको जन्म दिया है उनका हर दिन पैर छूकर धन्यवाद करते रहो। ✍️पागल सुंदरपुरीया 9649617982